गजेंद्र भंडारी
राजस्थान की राजनीति में एक बयान कुछ ही समय पहले सुर्खियां बटोर चुका है और वो है- मैं ओम बिरला का गुलाम बन कर नहीं रह सकता। यह बात प्रह्लाद गुंजल ने कही थी। प्रह्लाद वसुंधरा राजे के करीबी कहे जाते थे और उन्होंने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन दाम लिया था। इसके बाद वह कोटा से ओम बिरला के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़े थे। हालांकि, वो हार गए। अब ओम बिरला फिर से लोकसभा स्पीकर बन कर रिकॉर्ड स्थापित कर चुके हैं। पीएम मोदी और अमित शाह के करीबी माने जाने वाले ओम बिरला को मोदी सरकार ३.० में मिली बड़ी जिम्मेदारी राजस्थान की राजनीति पर साफ असर डाल रही है। वसुंधरा राजे की मंच पर दिखी नाराजगी और ओम बिरला का राजस्थान में बढ़ता कद आने वाले समय में बीजेपी में बड़े बदलाव की तरफ इशारा कर रहा है। विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव के दौरान वसुंधरा राजे की अनदेखी, फिर ५ बार सांसद बन चुके दुष्यंत सिंह को वैâबिनेट में जगह न देकर बीजेपी आलाकमान कुछ संदेश देने की कोशिश कर रहा है। अगले ५ साल में राजस्थान में बीजेपी का पावर सेंटर ओम बिरला बने रह सकते हैं, जिन्हें पर्दे के पीछे रहकर काम करने वाला संगठन कार्यकर्ता कहा जाता है, जो कि साल २००३ से लेकर अब तक हर भूमिका में सफल रहें हैं। चाहे वो कोटा का विधानसभा चुनाव रहा हो या फिर कोटा लोकसभा चुनाव।
क्या-क्या देखने को मिलेगा?
कोटा सांसद ओम बिरला दूसरी बार बुधवार को लोकसभा स्पीकर चुने गए। एनडीए और इंडिया गठबंधन के नेताओं ने बधाई देते हुए अपने-अपने विचार व्यक्त किए। वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने राहुल गांधी को सदन में विपक्ष का नेता चुने जाने पर बधाई दी। साथ ही पायलट ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधने का मौका नहीं छोड़ा और आगामी राजस्थान विधानसभा उपचुनाव को लेकर कांग्रेस की रणनीति पर चर्चा की। पायलट ने यह भी कहा कि दो बड़े सहयोगियों के सहयोग से एनडीए की सरकार बनी है। अगले ५ साल में क्या-क्या देखने को मिलेगा यह किसी को पता नहीं। मैं बस यहीं उम्मीद कर रहा हूं कि लोकसभा स्पीकर निष्पक्षता से काम करें और विपक्ष को भी बोलने का बराबरी का मौका दें। लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर पायलट ने कहा कि सरकार का यह रवैया ठीक नहीं है। परंपरा तो यह है कि अगर स्पीकर बिना चुनाव के चुना जाता है तो डिप्टी स्पीकर विपक्ष का होता है। यूपीए सरकार में भी ऐसा ही हुआ था। एनडीए ने दो बड़े सहयोगी दलों से मिलकर सरकार तो बना ली है, मगर अगले पांच साल में क्या-क्या देखने को मिलेगा ये कोई नहीं जानता।
संसद में सांसद की चर्चा
संसद भवन में १८वीं लोकसभा में निर्वाचित हुए नए सांसदों ने शपथ ली। इसमें एक नाम राजस्थान की सबसे युवा सांसद संजना जाटव का भी है। अलवर के कठूमर की रहने वाली संजना जाटव ने भरतपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीता। सांसद बनने के बाद जब वह संसद में शपथ लेने पहुंचीं तो उनके अंदाज की भी काफी चर्चा हुई। साड़ी और सिर पर पल्लू लेकर संसद पहुंची संजना ने शपथ ग्रहण के दौरान जय जवान, जय किसान और जय संविधान का नारा लगाया। भाषण के दौरान उन्होंने संविधान का भी जिक्र किया। इस दौरान उनकी मां, पति और उनकी तीन सासू मां संसद में मौजूद रहीं। खास बात यह है कि उनका राजनीतिक करियर भी ३ साल पहले ही शुरू हुआ था। इतने कम समय और कम उम्र में लोकसभा पहुंचने वाली सांसद ने यह सफलता हासिल की। शपथ लेते हुए संजना जाटव ने कहा कि वह ईश्वर की शपथ लेते हुए भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखेंगी। साथ ही भारत की प्रभुता और अखंडता को अक्षुण्य रखेंगी।