मुख्यपृष्ठस्तंभराजस्थान का रण : ओम बिरला का क्या होगा?

राजस्थान का रण : ओम बिरला का क्या होगा?

गजेंद्र भंडारी

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिर उन्हें पार्टी में क्या पद मिलेगा? हालांकि, अभी तक कुछ भी साफ नहीं है। बिरला फिर से लोकसभा अध्यक्ष बनेंगे या उन्हें पार्टी संगठन में कोई अहम जिम्मेदारी मिलेगी, इसको लेकर अभी सिर्फ अटकलें लगाई जा रही हैं। चर्चा यह भी है कि बिरला को राजस्थान में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए भी कयास शुरू हो गए हैं। राजनीतिक जानकार इसको लेकर अपनी- अपनी व्याख्या करने में जुटे हुए हैं। माना जा रहा है कि बिरला को बीजेपी हाईकमान दिल्ली से जयपुर भेज सकता है। ओम बिरला के राजनीतिक भविष्य को लेकर सियासत में कई कयास लगाए जा रहे हैं। सियासी चर्चा है कि क्या बिरला फिर से लोकसभा अध्यक्ष के रूप में दूसरी पारी की शुरुआत करेंगे या संगठन में कोई अहम जिम्मेदारी निभाएंगे। इस बीच बीती रात बिरला के आवास पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मुलाकात ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक जानकार कई मायने निकाल रहे हैं। सियासी चर्चा है कि बीजेपी उन्हें संगठन में कोई पद देने की तैयारी कर रही है। बिरला से अमित शाह और नड्डा की मुलाकात को राजनीतिक जानकर इसी से जोड़कर देख रहे हैं। कहा जा रहा है कि शायद इस मुलाकात में अमित शाह और नड्डा ने बिरला को कन्वेंस करने की कोशिश की है। ओम बिरला के दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनने के लिए काफी अड़चनें हैं। इसकी वजह इस बार बीजेपी को एनडीए गठबंधन के सहयोगी दलों का सहारा लेकर सरकार बनाना पड़ा है। ऐसे में बीजेपी के सामने सहयोगी दलों को संतुष्ट करना बड़ी चुनौती बनी हुई है।

एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप
बीजेपी नेता देवी सिंह भाटी के बयानों के बाद राजस्थान की सियासत में हलचल शुरू हो गई है। उन्होंने लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार का ठीकरा पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ पर फोड़ा है। इस बीच चूरू सांसद राहुल कस्वां और देवी सिंह भाटी के बयानों से घायल हुए राजेंद्र राठौड़ दिल्ली पहुंच गए। उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात को लेकर कई मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जिस तरीके से चूरू सांसद और भाटी के बयानों से उनकी बदनामी हुई है, उसको लेकर कहीं न कहीं राठौड़ बीजेपी हाईकमान नेताओं से मिलकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं। चूरू से कांग्रेस के नवनिर्वाचित सांसद राहुल कस्वां अपना टिकट काटने के लिए पूर्व में राजेंद्र राठौड़ को जिम्मेदार बता चुके हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान भी राठौड़ पर जमकर सियासी हमले किए। इस बीच कस्वां के बाद अब देवी सिंह भाटी ने भी राठौड़ को घेर लिया। उन्होंने राजस्थान में बीजेपी की हार का ठीकरा राठौड़ पर ही फोड़ दिया। इसके चलते सियासी गलियारों में जमकर हलचल मची हुई है। वहीं लगातार हो रहे हमले को देखकर राजेंद्र राठौड़ अब पार्टी हाईकमान की शरण में पहुंच गए। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राहुल कस्वां और देवी सिंह भाटी के लगातार बयानों के बाद कहीं न कहीं राठौड़ की सियासत में बदनामी हुई है। इसी बदनामी को डैमेज कंट्रोल करने के लिए राठौड़ अपना पक्ष रखने के लिए दिल्ली पहुंचे।

अब कौन जीतेगा उप चुनाव?
लोकसभा चुनाव २०२४ में राजस्थान के ५ विधायक अब संसद पहुंच चुके हैं, यानी सांसद बन चुके हैं। विधायकों ने पद से इस्तीफा भी दे दिया है। अब इन ५ सीटों पर ६ महीने के भीतर उपचुनाव होंगे। लोकसभा चुनाव २०२४ में कमजोर दिखी बीजेपी के लिए ये उपचुनाव खुद को फिर से साबित करने जैसा होगा। बीजेपी के आलाकमान के पास राजस्थान में लोकसभा चुनावों में कांग्रेस से मिली शिकस्त के बाद रिपोर्ट पहुंच चुकी है। ऐसे में पार्टी इन ५ सीटों पर जीत का मास्टर प्लान बनाने में जुट चुकी है। इस बार बेहद कम अंतर से जीते हनुमान बेनीवाल की इस जाट बाहुल्य सीट पर पकड़ है। चार बार बेनीवाल इसी सीट से जीते हैं, लेकिन अब देखना ये है कि क्या कांग्रेस के साथ आरएलपी इस सीट पर समझौता करेगी या कांग्रेस अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। इस सबके बीच बीजेपी के लिए यहां कड़ी चुनौती होगी। इस सीट पर राजकुमार रोत जीत कर दो बार विधायक रह चुके हैं। आदिवासी इस सीट पर भारत आदिवासी पार्टी (बाप) की पकड़ बहुत मजबूत है। ऐसे में यहां बीजेपी के लिए मुश्किलें ज्यादा बढ़ सकती हैं। कांग्रेस की परंपरागत सीट पर कांग्रेस आखिरी बार २००३ में हारी थी और सुमित्रा सिंह ने बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की थी। इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सीट पर कब्जा किया है। मीणा और गुर्जर बाहुल्य इस सीट पर कांग्रेस जीत को पक्का मान रही है। इन दोनों ही सीटों पर सचिन पायलट का खास प्रभाव होगा। दौसा लोकसभा सीट भी कांग्रेस के नाम ही रही है।

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