मुख्यपृष्ठखबरेंराजस्थान का रण : दशकों से जीत रहे, फिर मंत्री पद नहीं?

राजस्थान का रण : दशकों से जीत रहे, फिर मंत्री पद नहीं?

गजेंद्र भंडारी

राजस्थान और मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित राजस्थान की झालावाड़-बारां लोकसभा ऐसी सीट है, जहां बीते करीब साढ़े तीन दशक से एक परिवार के लोग सांसद चुने जा रहे हैं। इस सीट पर पहले राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे लगातार पांच बार जीत दर्ज कर चुकी हैं। राजे ने जबसे इस सीट को छोड़ा है, उसके बाद उनके बेटे दुष्यंत सिंह यहां से सांसद चुने जा रहे हैं। सिंह इस बार पांचवीं दफा झालावाड़ से चुनाव जीते हैं। वो लगातार पांच बार लोकसभा चुनाव जीतकर अपनी मां के रिकॉर्ड की बराबरी तो कर चुके हैं, लेकिन केंद्र में कोई पद नहीं पा सके हैं। राजे इस लोकसभा सीट से पहली बार १९८९ में चुनाव मैदान में उतरी थीं। उसके बाद उन्होंने यहां से लगातार पांच बार लोकसभा चुनाव जीते। राजे झालावाड़ सीट से १९८९, १९९१, १९९६, १९९८ और १९९९ में सांसद निर्वाचित हुईं थीं। उसके बाद राजे ने साल २००३ में राजस्थान की राजनीति में कदम रखा, तब भी उन्होंने झालावाड़ की झालरापाटन विधानसभा सीट को चुना। उन्होंने झालरापाटन से ही विधायक बनकर २००३ में राजस्थान कमान संभाली थी। राजे ने जब २००३ में झालावाड़ लोकसभा सीट छोड़ी तो उसके बाद उसे अपने बेटे दुष्यंत सिंह को दिया था। सिंह ने मां की इस राजनीतिक विरासत को बखूबी संभाला और चार बार लाखों मतों से चुनाव जीता। वह साल २००९ के चुनाव एक बार ५२,८४१ वोटों के अंतर से जीते थे। यह चुनाव उनके लिए सबसे कठिन था। शेष सभी चुनाव उन्होंने लाखों वोटों के अंतर से जीते हैं।
अपनों को नजरअंदाज करना भाजपा को पड़ा भारी
राजस्थान में ११ लोकसभा सीटों पर बीजेपी की हार को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। पूर्वी राजस्थान और शेखावाटी क्षेत्र में बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ। पूर्वी राजस्थान में बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाला नतीजा भरतपुर लोकसभा सीट पर रहा, जहां बीजेपी लगातार दो बार से अच्छे मार्जिन से जीत रही थी, लेकिन इस बार कांग्रेस ने बीजेपी को हरा दिया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह जिले में कांग्रेस प्रत्याशी ने बीजेपी उम्मीदवार को ५१ हजार ९८३ मतों से हराया। इसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि सीएम के क्षेत्र में आखिर कांग्रेस वैâसे जीती? वहां के लोगों ने इन नतीजों पर बात करते हुए बीजेपी की हार के पीछे टिकट वितरण को जिम्मेदार बताया। स्थानीय लोगों का कहना है कि पूर्व सांसद को नजरअंदाज करना पार्टी को भारी पड़ गया, वहीं इस चुनाव में आपसी तालमेल की भी कमी रही। कहा यह भी जा रहा है कि जाट समाज की नाराजगी भी बीजेपी को भारी पड़ी। केंद्र में धौलपुर-भरतपुर के जाटों के लिए आरक्षण की मांग मुख्य मुद्दा रहा, जिसके चलते संसदीय क्षेत्र के जाट बाहुल्य इलाकों में बीजेपी के खिलाफ वोटिंग हुई। बीजेपी के खिलाफ मतदान के पीछे एक पैâक्टर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को दरकिनार करना भी बताया जा रहा है।
पायलट का बीजेपी पर पलटवार
राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता सचिन पायलट ने मोदी सरकार में विभागों के बंटवारे को लेकर तंज कसा है। उन्होंने दौसा में कहा कि मोदी सरकार में खींचतान शुरू है, कई दलों में आशंका है। इसकी शुरुआत हो गई है। समय बताएगा कि सरकार कितनी चलती है? पायलट ने कहा कि जनता ने संदेश दिया है कि दमन, प्रतिशोध व भेदभाव की राजनीति नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान में जो परिणाम आए हैं, उसके लिए मैं प्रदेश की जनता को धन्यवाद देना चाहता हूं। एग्जिट पोल तरह-तरह की बातें दिखाते थे। राजस्थान की जनता ने दिखाया है, उन्होंने ११ सीटों पर उन्हें पराजित किया है। चाहे यूपी हो, हरियाणा हो, राजस्थान हो… यहां जनता ने, किसानों ने और नौजवानों ने स्पष्ट संकेत दिया है। सचिन पायलट ने आगे कहा कि गठजोड़ की सरकार बनी है। स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। संदेश गया है कि दमन की, प्रतिशोध की, आक्रमण की, भेदभाव की राजनीति नहीं चलेगी। संसद में जिस तरह से सांसदों को पहले निलंबित किया गया, लोगों ने यह पसंद नहीं किया। जनता ने सरकार को संदेश दिया है कि मिलकर काम करने की जरूरत है। कांग्रेस का संख्याबल दोगुना हुआ है। बीजेपी के सांसद कम हुए हैं।

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