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बावनकुले, गप्प क्यों मारते हो.. हिम्मत हो तो चुनाव कराओ! अंबादास दानवे का मुंहतोड़ जवाब

सामना संवाददाता / मुंबई
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस को मस्टर मंत्री ऐसा उल्लेख करते हुए भाजपा की अच्छी खिंचाई की थी। इस पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कल प्रतिक्रिया देते हुए उद्धव ठाकरे पर टिप्पणी की। विधान परिषद विरोधी दल नेता अंबादास दानवे ने बावनकुले को मुंहतोड़ जवाब दिया है। डींगें क्यों हांक रहे हो, हिम्मत हो तो चुनाव कराओ, ऐसा आह्वान उन्होंने किया है।
शिवसेना और संभाजी ब्रिगेड के संयुक्त पदाधिकारियों के सम्मेलन में उद्धव ठाकरे ने भाजपा और भाजपा नेताओं पर जोरदार हमला किया था। बेचारे, देवेंद्र फडणवीस की मुझे चिंता हो रही है कि वे कितने लोगों का भार उठाएंगे, कौन आया, कौन गया, इतना ही हिसाब रखने का उनका काम है। वे तो मस्टर मंत्री बन गए, ऐसी खिल्ली उद्धव ठाकरे ने उड़ाई थी।
चंद्रशेखर बावनकुले ने कल ट्वीट करके इस पर प्रतिक्रिया दी थी। देवेंद्र जी मस्टर मंत्री नहीं, वह मास्टर हैं, ऐसा उन्होंने कहा था, इसके साथ ही उद्धव ठाकरे को अपनी पार्टी संभालना नहीं आया, ऐसा भी उन्होंने उल्लेख किया था। बावनकुले के इस ट्वीट का दानवे ने ट्वीट के माध्यम से मुंहतोड़ जवाब दिया है।
उद्धव ठाकरे आज भी शक्तिशाली नेता
जिस व्यक्ति के पास पार्टी नहीं, चिह्न नहीं, ऐसे उद्धव ठाकरे के भाषण का तुम्हें इतना इंतजार करना पड़ा, इसका कारण एक ही है, हमारा नेता आज भी उतना ही बलशाली है। २०२४ का गप्प क्यों मारते हो? अपनी क्षमता पर इतना विश्वास है तो महानगरपालिका का चुनाव कराओ, लोग किसके पक्ष में समर्थन देते है! ऐसे शब्दों में उन्होंने बावनकुले को खुला आव्हान किया है।

अनुचित निधि आवंटन को लेकर विपक्ष के नेता अंबादास दानवे और पालक मंत्री के बीच झड़प!

छत्रपति संभाजीनगर जिले के सभी तालुकाओं में जिला योजना समिति के तहत निधि किस तरह आवंटित की गई है, इसकी जानकारी प्रतिपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कल जिला योजना समिति की बैठक में मांगी। लेकिन जिले के पालकमंत्री जवाब देने के बजाय बहस करने लगे। इस वजह से इन दोनों के बीच जमकर बहस हुई। पालक मंत्री हो, आप जिले के जागीरदार नहीं हैं। पालक मंत्री के नाते अपने निर्वाचन क्षेत्र में अतिरिक्त निधि दी है, उसी प्रकार अन्य तालुकाओं में भी समान निधि वितरित की जानी चाहिए, ऐसा अंबादास दानवे ने कहा। दानवे ने यह भी मांग की कि विपक्षी दल के विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों के साथ अन्याय किए बिना निष्पक्षता से निधि दी जानी चाहिए। लेकिन पालक मंत्री ने दावा किया कि मैं इस जिले का जागीरदार हूं और मेरी सहमति के बिना इस जिले में कोई भी काम नहीं हो सकता। इस पर दानवे ने पालक मंत्री को समझाते हुए सुझाव दिया कि सरकारी नियम है कि सभी तालुकाओं को आबादी के हिसाब से बराबर निधि दी जानी चाहिए और इसका पालन किया जाना चाहिए। इसके बाद दोनों के बीच जमकर बहस हुई। ये वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। उक्त घटना के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए प्रतिपक्ष के नेता दानवे ने आरोप लगाया कि विरोधी दलों के सदस्यों को पालक मंत्री की ओर से निधि नहीं मिलती है, इसके साथ ही निधि कम दी जाती है।

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