भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) इस बार आईपीएल में जीपीएस डिवाइस की मदद से खिलाड़ियों की फिटनेस पर नजर रखेगा। सभी खिलाड़ियों को प्रैक्टिस और खेलने के दौरान इसे पहनना होगा। यह डिवाइस खिलाड़ी की फिटनेस से जुड़ी करीब ५०० अलग-अलग तरह की सूचनाएं देगा। इन सूचनाओं में खिलाड़ी का एनर्जी लेवल, तय की गई दूरी, स्पीड, ब्रेक डाउन के खतरे, हार्टबीट, ब्लड प्रेशर आदि शामिल हैं। यह डिवाइस उस लिमिट को बताने में भी सक्षम है कि जिसके आगे वर्कलोड मिलने पर खिलाड़ी चोटिल हो सकता है। बीसीसीआई सूत्रों की मानें तो २०१८ से वर्कलोड डिवाइस पर काम चल रहा था। बीसीसीआई ने ऐसे डिवाइस के इस्तेमाल के लिए साल २०१८ से ही विचार करना शुरू कर दिया था। पहली बार इसे इस्तेमाल किया जा रहा है। इस डिवाइस का इस्तेमाल आईपीएल में प्रयोग के तौर पर किया गया था। इसके काफी अच्छे रिजल्ट आए हैं। इससे फ्रेंचाइजीज को भी फायदा हुआ और उन्होंने अपने महत्वपूर्ण खिलाड़ियों का इस्तेमाल जरूरत के हिसाब से किया। इसके बाद इसे आईपीएल में इस्तेमाल की हरी झंडी दे दी गई है। वर्कलोड पर नजर रखने वाली डिवाइस का इस्तेमाल इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीमें भी कर रही हैं। भारत में इसका इस्तेमाल देश की नेशनल हॉकी टीम के खिलाड़ी भी करते हैं। आईपीएल में भारतीय खिलाड़ियों की फिटनेस पर नजर रखने के लिए वर्कलोड मैनेजमेंट का फैसला तीन महीने पहले लिया गया था। आईपीएल खत्म होने के फौरन बाद भारतीय टीम को इंग्लैंड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेला जाना है। साथ ही अक्टूबर-नवंबर में भारत में ही वनडे वर्ल्ड कप होना है। ऐसे में तय किया गया था कि सीनियर्स और महत्वपूर्ण खिलाड़ियों को चोट से बचाने के लिए फ्रेंचाइजी के साथ मिलकर वर्कलोड मैनेजमेंट पर काम किया जाएगा।