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लहरों से डरें! मुंबई से डहाणू तक असुरक्षित हैं समुद्री किनारे, कहीं नहीं हैं सुरक्षा के ठोस इंतजाम

रामदिनेश यादव / मुंबई
मुंबई महानगर का एमएमआर (मुंबई महानगर प्रादेशिक) रीजन पालघर जिले के आधे से अधिक भाग तक पैâला है। एमएमआर रीजन के तहत मुंबई से डहाणू बोर्डी तक लगभग २०० किमी तक पैâला समुद्र तट है। इस बीच दर्जन भर से अधिक चौपाटियां हैं। इन चौपाटियों की सुरक्षा को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। इसी साल जून के महीने में मुंबई के जुहू चौपाटी पर चार बच्चों के डूबने की घटना के बाद सभी चौपाटियों पर प्रशासनिक स्तर पर की गई सुरक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में आ गई थी। ‘दोपहर का सामना’ ने इस खामी की तह तक जाने की कोशिश की, तो पाया कि मुंबई सहित आसपास की तमाम चौपाटियों पर सुरक्षा के इंतजाम न के बराबर ही हैं। कहने को तो मुंबई की ६ चौपाटियों पर लाइफगार्ड तैनात रहते हैं, लेकिन यहां आनेवाले सैलानी के अनुपात में उनकी संख्या अपर्याप्त है। यही हाल ठाणे से सटे मीरा -भायंदर और पालघर का भी है। पालघर के लगभग ७० किमी समुद्री किनारों पर लाइफगार्ड के नाम पर लोकल पुलिस और कुछ मछुवारे तैनात रहते हैं। ऐसे में साफ नजर आता है कि राज्य सरकार एमएमआर रीजन में आने वाले समुद्री किनारों की उपेक्षा कर रही है।
बात मुंबई के समुद्री किनारों की करें तो यहां एक लाइफगार्ड के जिम्मे लगभग ५ किमी समुद्री तट पर सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। अर्थात जरूरत के अनुरूप यहां लाइफगार्ड तैनात नहीं हैं। मनपा फायर ब्रिगेड अधिकारियों के अनुसार, मुंबई के तटीय क्षेत्रों में चौपाटियों पर कुल ९४ लाइफगार्ड नियुक्त किए गए हैं। इसमें से २० प्रतिशत से अधिक किसी न किसी वजह से छुट्टी पर ही रहते हैं। जबकि बाकी के लाइफगॉर्ड तीन शिफ्ट में काम करते हैं। ऐसे में एक शिफ्ट में लगभग २५ से ३० लाइफगार्ड ही ड्यूटी पर रहते हैं। कुल ९४ लाइफगार्ड में से ४५ को ही आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त है।
कोलीवाड़ों में है काफी जोखिम
मुंबई में गिरगांव, दादर, जुहू, अक्सा, वर्सोवा और गोराई आदि प्रमुख चौपाटियां हैं। इन प्रमुख बीचों को छोड़ दें तो बाकी ठिकानो पर लाइफगार्ड उपलब्ध नहीं होते हैं। जैसे वर्ली, माहिम, बांद्रा, खार दांडा, सांताव्रुâज आदि इलाकों में स्थित कोली बस्तियों (कोलीवाड़ों) के पास लाइफगार्ड न के बराबर ही मौजूद होते हैं। ऐसे में यहां लोगों को बचाना मुश्किल होता है, जैसा कि पिछले सप्ताह बांद्रा-पश्चिम स्थित बैंडस्टैंड क्षेत्र में पति के साथ सेल्फी लेने का प्रयास करनेवाली महिला के मामले में देखने को मिला। १२० सुरक्षा गार्डों की नियुक्ति में देरी
जुहू में बच्चों की डूबने से हुई मौतों के बाद मनपा आरोपों से बचने के लिए १२० नए सुरक्षा गार्डों की नियुक्त करने का निर्णय लिया है। लेकिन अभी तक इसमें कोई ठोस प्रगति नजर नहीं आ रही है।
हादसों के लिए लोग भी हैं जिम्मेदार
प्रशासन के पास सीमित लाइफगार्ड होने से लोगों की जान का खतरा बरकरार रहता है। इसके अलवा लहरों से मस्ती के लालच में लोगों द्वारा बरती गई लापरवाही भी अक्सर हादसों का सबब बनती है।

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