राज ईश्वरी
आए दिन ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम के मामले सामने आ रहे हैं, ‘डिजिटल अरेस्ट’ की आड़ में व्यक्तियों और व्यवसायों को करोड़ों रुपए का वित्तीय नुकसान हुआ है। ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम में, धोखेबाज आपको धोखा देने के लिए कानून प्रवर्तन अधिकारियों का रूप धारण करते हैं।
स्कैम क्या है?
‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम एक ऑनलाइन स्कैम है जो पीड़ितों से उनकी मेहनत की कमाई ठगता है। घोटालेबाज पीड़ितों को डराते हैं और उन पर अवैध गतिविधियों का झूठा आरोप लगाते हैं। बाद में वे पैसे की मांग करते हैं और भुगतान करने के लिए उन पर दबाव डालते हैं।
अपराधियों की मोडस आपरेंडी?
डिजिटल अरेस्ट स्कैम में, अपराधी खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी, जैसे कि सीबीआई एजेंट, इंकमटैक्स ऑफिसर या कस्टम ड्यूटी एजेंट के रूप में पेश करते हैं और फोन कॉल के जरिए पीड़ितों से संपर्क शुरू करते हैं। इसके बाद, वे पीड़ितों से अनुरोध करते हैं कि वे व्हॉट्सएप और स्काइप जैसे प्लेटफार्म के माध्यम से वीडियो कम्युनिकेशन पर स्विच करें। फिर घोटालेबाज पीड़ितों को वित्तीय घपला, टैक्स चोरी या अन्य कानूनी उल्लंघनों जैसे विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए डिजिटल अरेस्ट वारंट की धमकी देते हैं। कुछ मामलों में, ये धोखेबाज पीड़ितों को यह विश्वास दिलाने के लिए पुलिस स्टेशन जैसा सेट-अप बनाते हैं कि कॉल वैध है। ‘अपना नाम हटवाने’, ‘जांच में सहायता करने’ या ‘वापसी योग्य सुरक्षा जमा/एस्क्रो खाते’ की आड़ में, व्यक्तियों को निर्दिष्ट बैंक खातों या यूपीआई आईडी में बड़ी रकम स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया जाता है। एक बार जब पीड़ित सहमत हो जाते हैं और भुगतान कर देते हैं, तो घोटालेबाज गायब हो जाते हैं, जिससे पीड़ितों को वित्तीय नुकसान और संभावित पहचान की चोरी का सामना करना पड़ता है।
शिकार होने से कैसे बचें?
खुद को ठगे जाने से बचाने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है जागरूक रहना। ऐसे अपराधों के प्रति हमेशा सतर्क रहें। डिजिटल अरेस्ट स्वैâम से बचने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
ऐसे नकली अधिकारियों के कॉल से सावधान रहें जो दावा करते हैं कि आप मुसीबत में हैं। यह हमेशा याद रखना महत्वपूर्ण है कि असली कानून प्रवर्तन एजेंसी के अधिकारी कभी भी भुगतान या बैंकिंग विवरण नहीं मांगेंगे।
साइबर अपराधियों द्वारा अपनाई गई ‘दबाव की रणनीति’ के आगे न झुकें, जो ‘तत्काल कार्रवाई की भावना’ पैदा करके त्वरित कार्रवाई चाहते हैं।
अगर आपको कॉल के बारे में संदेह है, तो जिस एजेंसी का वे जिक्र कर रहे हैं, उससे सीधे संपर्क करके उनकी पहचान सत्यापित करें। शांत रहने की कोशिश करें और घबराएं नहीं।
व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें और कभी भी फोन या वीडियो कॉल पर संवेदनशील व्यक्तिगत या वित्तीय विवरण न बताएं, खासकर अज्ञात नंबरों पर।
याद रखें, सरकारी एजेंसियां आधिकारिक संचार के लिए व्हाट्सएप या स्काइप जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं करती हैं।
यदि आपको लगता है कि आपके साथ धोखाधड़ी हो रही है, तो स्थानीय पुलिस या साइबर अपराध प्राधिकारियों को घटना की सूचना देना कभी न भूलें।
सीईआरटी-इन की ओर से जनता को जारी परामर्श में कहा गया है कि इस ‘उभरते साइबर खतरे’ से खुद को बचाने के लिए ‘सतर्क और सावधान’ रहना महत्वपूर्ण है।
शिकार हैं तो क्या करें?
यदि आप डिजिटल अरेस्ट स्कैम के शिकार हैं, तो पहला कदम तुरंत अपने बैंक को रिपोर्ट कराना और अपना खाता फ्रीज करना है।
राष्ट्रीय साइबर क्राईम रिपोर्टिंग पोर्टल (म्ब्ंीम्rग्स.ुदन्.ग्ह) पर शिकायत दर्ज करें। आपके पास जो भी साक्ष्य हों, उन्हें हमेशा संभाल कर रखें-कॉल विवरण, लेन-देन विवरण, संदेश आदि। यदि आवश्यक हो तो किसी ऐसे मामलों में किसी लॉ एक्सपर्ट से सहायता लें।