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समुद्र किनारे … ना जाना रे … लाइफगार्ड की कमी से जूझ रही हैं मुंबई की चौपाटियां!

• एक लाइफगार्ड पर ५ किमी तक की जिम्मेदारी
• ६ प्रमुख चौपाटियों पर मौके पर रहते हैं ३० लाइफगार्ड

सामना संवाददाता / मुंबई
महानगर मुंबई के सबसे चर्चित जुहू चौपाटी के पास सोमवार को समुद्र में डूबने से चार लोगों की मौत हो गई। इस घटना ने समुद्र तट पर जाने वाले सैलानियों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है। मुंबई तटों पर जाने वाले पर्यटकों की सुरक्षा के लिए मनपा ने लाइफगार्ड नियुक्त किया है लेकिन लाइफगार्ड की कमी के चलते उन पर भी काफी दबाव होता है। जानकारों की मानें तो यहां एक लाइफगार्ड के जिम्मे लगभग ५ किमी समुद्री तट पर सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। वास्तव में आवश्यकता के अनुसार यहां लाइफगार्ड नहीं तैनात हैं। मुंबई की चौपाटियां लाइफगार्ड की कमी से जूझ रही हैं। ऐसे में मुंबईकरों एवं पर्यटकों के लिए यह चेतावनी भी है कि वे समुद्र किनारे पानी मे न जाएं तो बेहतर है।
मनपा फायर ब्रिगेड अधिकारीयों के अनुसार, मुंबई के तटीय क्षेत्रों में चौपाटियों पर कुल ९४ लाइफगार्ड नियुक्त किए गए हैं। इसमें से २० प्रतिशत से अधिक किसी न किसी कारण छुट्टी पर रहते हैं, जबकि बाकी के लाइफगार्ड तीन शिफ्ट में काम करते हैं। ऐसे में एक शिफ्ट में लगभग २५ से ३० ही लाइफगार्ड ऑन ड्यूटी रहते हैं। कुल ९४ लाइफगार्ड में से ४५ को विशेष तौर पर प्रशिक्षण भी दिया गया है कि वे आपदा के समय किसी भी परिस्थति का सामना कर सकें। खास कर रेड अलर्ट और छुट्टी के दिनों में इन्हे तैनात रहने का सख्त निर्देश हैं। बता दें कि मुंबई के आस-पास कुल १७० किलोमीटर का समुद्री किनारा है, इनमें गिरगांव, दादर, जुहू, अक्सा, वर्सोवा और गोराई प्रमुख चौपाटियां हैं। इनमें से सिर्फ प्रमुख बीचों को छोड़ दें तो बाकी ठिकानों पर लाइफ गार्ड की पहुंच नहीं है। सांताक्रुज कोलीवाड़ा, खारडांंडा, वर्ली कोलीवाड़ा, माहिम बीच, बांद्रा के पास भी लाइफगार्ड की संख्या न के बराबर है। ऐसे में यहां लोगों को बचाना मुश्किल होता है। हालांकि, कंपनी की ओर से बड़ी संख्या में लोगों को बचाने का दावा किया गया है।

मनपा ने पल्ला झाड़ लिया
मुंबई चौपाटियों को लेकर काफी पसंद किया जाता है। मुंबई शहर के तीन तरफ समुद्र हैं। ऐसे में इसका १७० किमी से अधिक भाग समुद्री किनारे से घिरा हुआ है और यहां ६ प्रमुख चौपाटियां हैं, जहां पर्यटक और मुंबईकर घूमने-फिरने जाते हैं। छुट्टियों और त्योहारों में यहां चौपाटी पर लाखों लोग पहुंचते हैं। ऐसे में पर्यटकों के सुरक्षा की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। मनपा के पास सीमित लाइफगार्ड होने से लोगों की जान का खतरा बरकरार रहता है। इससे पहले भी समुद्र में डूबने से मरने की घटनाएं चौपाटियों में हुई है। पिछले वर्ष भी यहां जुहू में ही तीन लोगों की डूबने से मौत हो गई थी। लेकिन मनपा ने इसे आगुंतकों की लापरवाही बताकर पल्ला झाड़ लिया था।
कोर्ट में भी प्रलंबित
जानकारों की मानें तो मुंबई के प्रमुख बीचों पर फिलहाल मनपा ने दृष्टि लाइफ्सविंग कंपनी के लाइफगार्ड तैनात किए हैं। इन्हें २०१९ में यह ठेका दिया गया था। जुलाई २०२२ में इस कंपनी का ठेका पूरा हो गया था। मनपा सूत्रों की मानें तो इस कंपनी के ठेके को आगे बढ़ाया गया है। लाइफ गार्ड से जुड़े कुछ मुद्दे को लेकर एक मामला कोर्ट में भी प्रलंबित है। मनपा और कंपनी में लाइफगार्ड बढ़ाने को लेकर विवाद है जिस वजह से यहां पर्यटकों की सुरक्षा के लिए आवश्यकता से कम लाइफगार्ड हैं। जानकारों की मानें तो एक लाइफगार्ड के ऊपर लगभग ५ किमी समुद्री किनारे पर लोगों की लाइफ बचाने की जिम्मेदारी है, जबकि एक किमी चौपाटी के लिए एक लाइफगार्ड तैनात होना बेहतर माना जाता है।

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