मुख्यपृष्ठअपराधखूबसूरती बनी थी काल, पति ने खेला था `खूनी' खेल!

खूबसूरती बनी थी काल, पति ने खेला था `खूनी’ खेल!

मनमोहन सिंह

१४ अगस्त १९८० वेस्ट लॉस एंजेलिस के एक शानदार मकान के पोर्च में शानदार कार रुकी। उसमें से एक २० वर्षीय खूबसूरत युवती उतरी। उसने इमारत को बड़े गौर से हसरत भरी निगाहों से देखा। मकान में उसने अपने पति के साथ काफी वक्त बिताया था। पति उसका इंतजार कर रहा था लेकिन आज वह युवती उसे हमेशा के लिए अलग होने जा रही थी। दोनों के बीच कुछ अच्छा नहीं चल रहा था। डिवोर्स की बात हो चुकी थी। पति ने कुछ ऐसा जाहिर किया था कि वह तलाक नहीं चाहता। लेकिन युवती उसकी हरकतों से परेशान थी वह नहीं चाहती थी कि उसके साथ जिंदगी बिताए। ऐसी जिंदगी जिस पर उसने अपना कब्जा जमा रखा था। हालांकि, वह आज जो कुछ थी उसमें उसके पति की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
बता दें कि ३ साल पहले १९७७। वह ब्रिटिश कोलंबिया के वैंकूवर में अपनी मां के साथ डेयरी क्वीन स्टॉल में पार्ट टाइम काम कर रही थी, उसकी मुलाकात २६ साल के एक लोकल क्लब प्रोमोटर पॉल स्नाइडर से हुई। पॉल उसकी खूबसूरती पर फिदा हो गया था। वह भी उसे चाहने लगी थी। लेकिन पॉल के मन में कुछ और ही चल रहा था। वह उसकी खूबसूरत को ही भुनाना चाहता था। उसकी नजर में वह एक सोने का अंडा देनेवाली मुर्गी थी।
उसने उस भोली-सी लड़की को फुसलाना शुरू किया। उस जमाने में प्लेबॉय मैगजीन में युवतियों की न्यूड तस्वीरें सनसनी मचा रही थी। प्लेबॉय में छापने के बाद ग्लैमर की दुनिया में आसानी से एंट्री हो जाती थी। शोहरत और ऐश्वर्य भरी जिंदगी की जो खूबसूरत तस्वीर पॉल ने उसे दिखाई अब वह इस तरह की जिंदगी जीने के सपने देखने लगी। अगस्त १९७८ वह अमेरिका पहुंची। प्लेबॉय की २५ सालगिरह के लिए मॉडल के तौर पर चुनी गई। इस बीच अक्टूबर में उसने पॉल से शादी कर ली। वह `प्लेबॉयस मिस अगस्त १९९७’ बन कर हर दिल अजीज बन गई। लॉस एंजिल्स में केंटुकी प्लेबॉय क्लब से जुड़ी। इस खूबसूरती को १९९७ में फैंट्सी आइलैंड सीरीज और अमेरिकाथॉन, रोलर डिस्को, स्केटटाऊन, यू एस ए जैसी फिल्मों में कुछ रोल के अलावा ऑटम बॉर्न जैसी फिल्म मिली, जिसमें वह लीड रोल में थी।
मार्च १९८०। २२ मार्च १९८० को उसे न्यूयॉर्क बुलाया गया वहां पर वह एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म के लिए कास्ट की गई लीड रोल में। फिल्म का नाम था `दे आॉल लॉफ्ड’। इस बड़ी बजट फिल्म के राइटर डायरेक्टर थे बोग्दानाविच। इस दौरान `गैलेक्सीयाना’ फिल्म की शूटिंग, जो सदर्न कैलिफोर्निया में पूरी हो गई थी, उसने महसूस किया कि उसका पति पॉल का हस्तक्षेप उसकी जिंदगी में काफी हद तक बढ़ चुका था। वह सेट पर हमेशा उसके साथ रहता, शूटिंग के दौरान भी। पैसों के लेन-देन में भी और शूटिंग डेट्स में भी। वह उसकी बुराई भी करता और उसके पैसे पर ऐश भी!
८ अगस्त १९८०। दोनों पति-पत्नी एक बार फिर उनके पुराने घर वेस्ट लॉस एंजिल्स में मिले।
९ अगस्त। अपनी पत्नी से मिलने के दूसरे दिन अपने डिटेक्टिव कुछ चीज मांगता है, जिसे देने से डिटेक्टिव इनकार कर देता है।
अगले दिन पॉल अखबारों में बड़ी बेसब्री से एडवर्टाइजमेंट ढूंढ़ रहा है। अचानक उसकी आंखों में चमक आ जाती है उसे वह दिख पड़ता है जिसे वह इतने दिनों से खोज रहा है। शाम को ८ बजे के करीब दोनों मित्र लौट आए। उन्होंने देखा बाहर शानदार कार पार्क है। दोनों भीतर पहुंचे, पाया कि बेडरूम का दरवाजा बंद है। उन्होंने सोचा दोनों पति-पत्नी काफी लंबे अरसे के बाद मिल रहे हैं और एक गंभीर विषय पर बातचीत कर रहे हैं तो उन्हें प्राइवेसी की जरूरत है। दोनों ने उन्हें डिस्टर्ब करना उचित नहीं समझा। दोनों लिविंग रूम में टीवी देखने लगे। दोनों टीवी देख रहे थे कि अचानक फोन की घंटी घनघनाई। फोन पर पॉल का डिटेक्टिव था, जिसे उसने अपनी पत्नी की प्रेम कहानी का पता लगाने के लिए हायर किया था। आज पूरे दिन पॉल ने उसे कॉल नहीं किया था। इसलिए उसने पॉल को फोन किया था कि उसे कुछ बातचीत कर सके। रात के ११ बज चुके थे। दोनों ने बेडरूम का दरवाजा खटखटाया भीतर से कोई जवाब नहीं मिला। कुछ वक्त और बीता। अब खामोशी उन्हें अखरने लगी…अनहोनी की आशंका ने उन्हें मजबूर कर दिया बेडरूम का दरवाजा खोलने पर।
दरवाजा खोलते ही दोनों की सांसें अटक कर रह गईं। जैसे दोनों को काठ मार गया हो। आंखें हैरानी से फटी रह गई। जुबान तालू से चिपक कर रह गई। बेड पर दोनों की लाशें पड़ी हुई थी। पत्नी के सिर पर गोली लगी हुई थी, पति ने पत्नी को गोली मार कर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। देखते ही देखते यह खबर जंगल में आज की तरह पैâल गई। सिर्फ २० साल की एक्ट्रेस डोरथी स्ट्रैटन की हत्या ने सबको हिला कर रख दिया। डोरथी स्ट्रैटन के बार में कहा गया कि अगर उसे अपना जीवन और अपना करियर जीने का सौभाग्य मिला होता तो वह एक स्टार होती। जूलिया रॉबर्ट्स होती रीज विदरस्पून होती। कुश्नर जिसने स्ट्रैटन पर एक किताब लिखी है का कहना है, `वह एक महान व्यक्ति थीं, और उसने अपने आप को हर किसी के सामने समर्पित कर दिया, जिससे वह मिलीं। मेरी किताब में, उनके जैसा कोई दूसरा कभी नहीं होगा, डोरोथी कुछ खास थी। हमेशा रहेगी…हमेशा।’

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