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बाप के मर्डर के बाद बना दरिंदा : ६ जिलों की पुलिस का अमन ने छीना चैन!

• श्रीवास्तव गैंग का सरगना नहीं छोड़ता था सबूत
• महाराष्ट्र-झारखंड एटीएस ने संयुक्त अभियान के बाद दबोचा
जितेंद्र मल्लाह / मुंबई

पिता की हत्या का बदला लेने के लिए अपराधी बने ३१ वर्षीय कुख्यात गैंगस्टर अमन सुशील श्रीवास्तव को महाराष्ट्र और झारखंड एटीएस ने संयुक्त अभियान में नई मुंबई के वाशी रेलवे स्टेशन के पास से गिरफ्तार किया है। झारखंड के छह जिलों की पुलिस का सुख-चैन छीननेवाले अमन पर आगजनी, गोलीबारी, हत्या की कई वारदातों को अंजाम देने का आरोप है। करीब ९ वर्षों से वांछित अमन उर्फ रोहन विनोद कुमार के गुर्गे सूबे में कारोबारियों, माइनिंग करनेवालों, ठेकेदारों की लिस्ट बनाकर उनसे नियमित तौर पर रंगदारी वसूलते रहे हैं।
बता दें कि झारखंड पुलिस के एटीएस थाना में इसी १७ जनवरी २०२२ को अमन श्रीवास्तव गिरोह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उक्त प्राथमिकी में गैंग लीडर अमन श्रीवास्तव सहित १५ लोग आरापी बनाए गए थे। इन आरोपियों में अमन श्रीवास्तव के भाई अभिक श्रीवास्तव, बहनोई चंद्रप्रकाश राणू, बहन मंजरी श्रीवास्तव, चचेरे भाई प्रिंसराज श्रीवास्तव, सहयोगी विनोद कुमार पांडेय, जहीर अंसारी, फिरोज खान उर्फ सना खान, मजमूद उर्फ नेपाली, असलम, सिद्धार्थ साहू आदि शामिल थे। एटीएस ने चार्जशीट में बताया है कि अमन श्रीवास्तव गैंग के अपराधी रंगदारी कर पैसे जुटाते थे और उससे हथियार खरीदकर आतंक कायम करने के लिए गोली-बारी व आगजनी कर व्यवसायियों-ठेकेदारों में दहशत पैदा करते थे।
दूसरों से करवाता था अपराध
खास बाते ये है कि अमन सूबे से बाहर रह कर अपना गैंग चला रहा था। उसने खुद तो कभी कोई कांड नहीं किया था और न ही रंगदारी वसूली थी इसलिए प्रत्यक्ष उसके खिलाफ पुलिस को कभी कोई सबूत नहीं मिल सके। लेकिन अपने गुर्गों-सहयोगियों के माध्यम से दहशत पैâलाने के लिए गोलीबारी व आगजनी की घटना को अंजाम दिलाता था। रंगदारी के रूप में मिलने वाली राशि भी वह स्वयं नहीं लेता था। हवाला के माध्यम से अपने रिश्तेदारों तक रंगदारी की राशि पहुंचवाता था।
सोशल मीडिया से रहता था दूर
सोशल मीडिया से दूर रहनेवाला अमन श्रीवास्तव मोबाइल फोन से नार्मल कॉल तो दूर वाहट्अप कॉल से भी किसी से बात नहीं करता था। अमन श्रीवास्तव वॉयस ओवर पैकेट का इस्तेमाल करता था।

वर्चस्व की लड़ाई में हुई पिता की हत्या
गौरतलब हो कि झारखंड में सुशील श्रीवास्तव के श्रीवास्तव गैंग और भोला पांडेय के पांडेय गिरोह के बीच लंबे समय तक वर्चस्व की लड़ाई चली थी। इसी रंजीश में भोला पांडेय गिरोह ने २ जून २०१५ को हजारीबाग कोर्ट परिसर में सुशील श्रीवास्तव की हत्या कर दी थी। सुशील श्रीवास्तव की हत्या के बाद सुशील के बड़े बेटे अमन श्रीवास्तव ने गिरोह की कमान संभाल ली थी। बोकारो जेल में बंद अमरेंद्र तिवारी और रामगढ़ के लखन साव उसके मददगार बने। अमन ने उसका बदला २६ अक्टूबर २०१६ को पतरातू में किशोर पांडेय के बुजुर्ग पिता कामेश्वर पांडेय की हत्या करा कर लिया था। कामेश्वर पांडेय की हत्या के दौरान भीड़ ने एक शूटर को पकड़ लिया और पीट-पीट कर मार डाला था। हत्याकांड के बाद अमन श्रीवास्तव ने इस वारदात को अंजाम दिलवाने की बात खुद कबूली थी। झारखंड के रांची, रामगढ़, चतरा, लोहरदगा, हजारीबाग और लातेहार जिले की पुलिस के लिए चुनौती बने गैंगस्टर अमन श्रीवास्तव के खिलाफ अलग-अलग थानों में २३ मामले दर्ज हैं।

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