-हर सेकंड एक की ले रहा जान
-मुंबई में है सबसे चिंताजनक स्थिति
-एक हजार में एक हो रहा शिकार
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
आम आदमी की जीवनशैली और खान-पान में आया यह बदलाव वर्तमान समय में वैंâसर और हार्ट अटैक समेत कई घातक बीमारियों को जन्म देने लगा है। इसी फेहरिस्त में अब ब्रेन स्ट्रोक भी शामिल हो गया है। आज आलम यह है कि हिंदुस्थान में मौत का दूसरा कारण ब्रेन स्ट्रोक बन गया है। देश में ब्रेन स्ट्रोक हर सेकंड एक व्यक्ति की जान ले रहा है। सबसे चिंताजनक स्थिति मुंबई की है, जहां ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के शिकार एक हजार में एक व्यक्ति की मौत स्ट्रोक के कारण हो रही है। इसे लेकर मुंबई समेत देश के तमाम न्यूरोलॉजिस्ट चिंतित हैं। साथ ही वे ब्रेन स्ट्रोक के मामलों को कम करने के लिए कई तरह के उपाय करने में जुट चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि ब्रेन स्ट्रोक आने की वजह सुस्त जीवनशैली, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और दिल से संबंधित बीमारियां हैं। स्ट्रोक में दिमाग की वेसल में क्लॉट हो जाता है, जिसके चलते ब्लड की सप्लाई दिमाग के अन्य हिस्से में नहीं पहुंचती है। इससे हाथ, पैर, चेहरे पर लकवा मार देता है। गोल्डन ऑवर्स में मरीज यदि इलाज के लिए पहुंचता है तो उसकी जान बचाई जा सकती है। फिलहाल, लोगों में ब्रेन स्ट्रोक को लेकर जागरूकता की भारी कमी है, जिसे बढ़ाने की जरूरत है। एपिलेप्सी फाउंडेशन व इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. निर्मल सूर्या ने कहा कि स्ट्रोक के लगभग २० से ३० फीसदी मरीज ही गोल्डन ऑवर्स में अस्पताल पहुंच पाते हैं। डॉ. निर्मल सूर्या ने कहा कि वर्तमान समय में पूरे हिंदुस्थान में केवल चार हजार ही न्यूरोलॉजिस्ट हैं। ऐसे में देश की १.५ मिलियन पॉपुलेशन तक आसानी से पहुंच पाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि चार हजार में से करीब २,५०० न्यूरोलॉजिस्ट अकेले देश के मेट्रो शहरों में हैं। अकेले मुंबई में १५०, जबकि मुंबई को छोड़कर पूरे महाराष्ट्र में १५० न्यूरोलॉजिस्ट हैं। फिलहाल, देश की आबादी के हिसाब से देश में १५ से २० हजार न्यूरोलॉजिस्ट चिकित्सकों की जरूरत है।
यूपी, बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों में दयनीय स्थिति
सबसे दयनीय स्थिति उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, ओडिशा, गुवाहाटी, मेघालय, मिजोरम जैसे राज्यों की है, जहां बिरला ही न्यूरोलॉजिस्ट मिलेगा। ऐसे में ब्रेन स्ट्रोक होने पर मरीजों को बचा पाना मुश्किल हो जाता है। इसे लेकर इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन कई तरह के पहल कर रही है, जिसमें कहीं न कहीं सफलता भी अर्जित हो रही है।
डॉ. निर्मल सूर्या, अध्यक्ष एपिलेप्सी फाउंडेशन