कुर्ला बस हादसे के २३ दिन बाद भी नहीं आई जांच रिपोर्ट
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई की दूसरी जीवनरेखा कही जाने वाली बेस्ट सेवा इस समय बिना किसी जनरल मैनेजर के चल रही है। कुर्ला में हुई बस दुर्घटना को २३ दिन बीत चुके हैं, लेकिन जांच समिति की रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। इस बीच, बेस्ट प्रबंधन में शीर्ष स्तर पर खाली पदों ने संगठन की कार्यप्रणाली और शहर की सार्वजनिक परिवहन सेवा की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सांसद वर्षा गायकवाड़ ने इस स्थिति को लेकर कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा, ‘कुर्ला बस हादसे के बाद भी २३ दिनों में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। दूसरी तरफ, बेस्ट बिना जनरल मैनेजर के कई दिनों से चल रही है। ठेका मॉडल (वेट लीज) पूरी तरह से विफल साबित हुआ है। इस मॉडल के आने के बाद से बेस्ट सेवा की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सुरक्षा में भारी गिरावट आई है। बसों की खराबी, हादसों और कर्मचारियों के साथ शोषण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद इस दोषपूर्ण मॉडल को जबरन मुंबईकरों पर थोपा जा रहा है।
३१ लाख मुंबईकर रोजाना बेस्ट पर हैं निर्भर
बेस्ट सेवा पर ३१ लाख से अधिक मुंबईकर रोजाना निर्भर हैं। यह शहर के सबसे कमजोर वर्गों के लिए एक किफायती और महत्वपूर्ण सेवा है। लेकिन इसे सुदृढ़ करने के बजाय, इसे लगातार कमजोर किया जा रहा है। यह सरकार की लापरवाही है
यूनियन का विरोध
बेस्ट कर्मचारी यूनियन के नेता शशांक राव ने भी मौजूदा स्थिति पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यह बेस्ट का अब तक का सबसे खराब दौर है। कुर्ला हादसे के बाद प्रबंधन में सबसे महत्वपूर्ण पद खाली है। इससे कर्मचारियों और यात्रियों की सुरक्षा खतरे में है। ठेका मॉडल के तहत निजी ऑपरेटरों द्वारा बसों का संचालन किया जा रहा है। कर्मचारियों की उचित ट्रेनिंग और रख-रखाव पर ध्यान न देने की वजह से बसों के खराब होने और हादसों की घटनाएं बढ़ रही हैं। मुंबई की बेस्ट सेवा न केवल सार्वजनिक परिवहन का प्रमुख माध्यम है, बल्कि यह शहर की पहचान भी है। ऐसे में जनरल मैनेजर का पद खाली रहना और कुर्ला हादसे की जांच में देरी प्रशासनिक उदासीनता का बड़ा उदाहरण है।