संघ और भाजपा में तनातनी फिर आई सामने
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के ताजा बयान से एक बार फिर बवाल मच गया है। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि आत्म-विकास करते समय एक मनुष्य अतिमानव (सुपरमैन) बनना चाहता है। इसके बाद वह देवता, फिर भगवान बनना चाहता है। साथ ही विश्वरूप की भी आकांक्षा रखता है, लेकिन वहां से आगे भी कुछ है क्या, यह कोई नहीं जानता है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों में मनुष्य होने के बावजूद मानवीय गुणों का अभाव होता है। उन्हें सबसे पहले अपने अंदर इन गुणों को विकसित करना चाहिए। झारखंड के गुमला में गैर-लाभकारी संगठन विकास भारती द्वारा आयोजित ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता बैठक को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि लोगों को मानव जाति के कल्याण के लिए अथक प्रयास करना चाहिए, क्योंकि विकास और मानव महत्वाकांक्षा का कोई अंत नहीं है।
इस दौरान उन्होंने एक सामान्य टिप्पणी की, जो हर आदमी पर लागू होती है। लेकिन अब इसके राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं। ऐसा इसलिए कि बीते सवा महीने में दो मौकों पर मोहन भागवत के जिस तरह के बयान आए हैं, उसमें किसी के नाम का उल्लेख तो नहीं है, लेकिन समय और संदर्भ से लोग यही अनुमान लगाते रहे हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी को लक्ष्य कर उन्होंने ये बातें कहीं।
तकरीबन सवा महीने पहले लोकसभा के चुनाव परिणाम की घोषणा के हफ्ते भर बाद १० जून को भी भागवत ने ऐसा ही एक बयान दिया था। उन्होंने कहा था- काम सब लोग करते हैं, लेकिन काम करते समय मर्यादा का पालन करना चाहिए। मर्यादा का जो पालन करके चलता है, वह कर्म करता है, लेकिन कर्मों में लिप्त नहीं होता। उसमें अहंकार नहीं आता कि मैंने किया है। वो ही सेवक कहलाने का अधिकारी रहता है।
-बीजेपी की कमान फिर संघ के हाथ!
माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में संघ ने कोई भूमिका नहीं निभाई। जो कुछ भी हुआ, वह भाजपा ने अपने बूते किया। मसलन बीजेपी को अगर २४० सीटें आई हैं तो इसे उसकी उपलब्धि माना जा रहा है। यानी संघ की ताकत इसमें शामिल हो जाए तो भाजपा चमत्कारिक परिणाम अब भी देने की स्थिति में है। यह भी चर्चा है कि संघ ने अब कमान अपने हाथ में ले ली है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो बड़े बदलाव की सुगबुगाहट दिख रही है, वह सब संघ के इशारे पर हो रहा है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ संघ की पसंद हैं। नरेंद्र मोदी का विकल्प तलाशने की कवायद भी चल रही है। संघ का निर्णय अंतिम होगा। नरेंद्र मोदी के विकल्प के रूप में जिन नामों पर चर्चा चल रही है, उनमें योगी आदित्यनाथ, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान के नाम सबसे ऊपर बताए जा रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है। इसलिए संगठन में भी एक ताकतवर चेहरे की जरूरत है। संभव है कि आरएसएस प्रमुख नए चेहरे की घोषणा के पहले जनता का मिजाज टटोल रहे हों।
मोहन भागवत का पहला बयान लोकसभा चुनाव में भाजपा को अकेले पूर्ण बहुमत न मिलने के बाद आया था। इसी क्रम में उन्होंने मणिपुर की हिंसा का भी जिक्र किया तो अनुमान लगाने वाले लोगों ने पक्के तौर पर मान लिया कि निश्चित ही भागवत ने नरेंद्र मोदी को लक्ष्य कर यह बयान दिया है। तनातनी के अनुमान का एक और आधार है। लोकसभा चुनाव के दौरान ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कह दिया कि ‘अब पार्टी को संघ की बैसाखी की जरूरत नहीं। पहले जरूर इसकी जरूरत पड़ती थी।’
आरएसएस चीफ के बयान को लेकर कांग्रेस ने पीएम मोदी पर तंज कस दिया है। जयराम रमेश ने इस बयान को ‘भागवत बम’ बताते हुए कहा कि मुझे पता है कि स्वघोषित नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री को पता चल गया हो कि नागपुर से हाल में दागी गई मिसाइल का निशाना लोक कल्याण मार्ग है।