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उपासना के अधिकार की मांग का आंदोलन है भक्ति आंदोलन – इंद्रमणि

  • बाबू धनंजय सिंह स्मृति व्याख्यानमाला

    विक्रम सिंह / सुलतानपुर

`भक्ति आंदोलन उपासना के अधिकार की मांग का आंदोलन है। भक्ति काल में कविता शास्त्र की जड़ता से लड़ती है। भक्ति काल के रचनाकार शास्त्र के बजाय अनुभव पर बल देते हैं। इस काल में जनता की बोली में साहित्य लिखा गया इसलिए भक्तिकाल की रचनाएं आम आदमी से सीधे जुड़ती हैं। भक्ति साहित्य लोकधर्मी है।’ यह बातें राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष इन्द्रमणि कुमार ने बाबू धनंजय सिंह स्मृति व्याख्यानमाला के अंतर्गत ‘भक्ति काव्य के ऐतिहासिक सामाजिक परिप्रेक्ष्य’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्यवक्ता सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि मध्यकाल में अनेक जातियों और महिलाओं को उपासना के अधिकार से वंचित कर दिया गया था। इसी कारण भक्ति आंदोलन पैदा हुआ। उपासना की पारम्परिक पद्धतियों में जगह न मिलने पर निम्न और पिछड़ी जातियों ने उपासना की वैकल्पिक पद्धति खोजी।

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