मुख्यपृष्ठस्तंभभोजपुरिया व्यंग्य : भगेलू काका के छप्पर बनल चुनावी गपशप के अड्डा

भोजपुरिया व्यंग्य : भगेलू काका के छप्पर बनल चुनावी गपशप के अड्डा

प्रभुनाथ शुक्ल
भदोही

गाँव के लोग भगेलू काका के फूस के छप्पर में दुपहरिया बितावेले। उहाँ सब सुविधा उपलब्ध बा। हैंडपंप से ताजा पानी के संगे देशी गुण क मिठास मिलेला। खैनी के साथे-साथे मुफत में कतरनी या सुपारी भी बा। घना आम के बगइचा में बनल छप्पर एह तपत गर्मी में बहुत आराम देला। ए समय लगन-बरात के संगे-संगे इ चुनाव के मौसम भी बा। जवना के चलते माहौल बेहतर रहेला। काहे कि गाँव के दस बीस लोग पूरा दुपहरिया आराम के आड़ में ओहिजा गपशप करत बितावेला। जवना के चलते चुनाव प्रचार खातिर आवे वाला उम्मीदवार अवुरी समर्थक के जनसंपर्क कईल आसान हो जाला।
भगेलू चाचा के फूस के छप्पर चुनाव के मौसम में राजनीति के अड्डा बन गईल बा। इहाँ पहुंचे वाला नेता अवुरी ओकरा समर्थक सिर्फ दावा करतारे कि उनकर पार्टी ही चुनाव जीतता। सत्ताधारी दल के उम्मीदवार होखे या विपक्ष के उम्मीदवार या निर्दलीय, चुनाव में केहु के हारल नईखे लउकत। सत्ताधारी दल के एगो नेता अपना विपक्षी पार्टी के उम्मीदवार के गर्व से आलोचना करत रहले अवुरी अपना पार्टी के छोट-मोट उपलब्धि गिनावत रहले। अपना सरकार आ पार्टी के नेता के प्रति भक्ति में पूरा तरह से डूबल रहले। कालूराम चाचा आदर से मोंछ सहलावत कहले, नेताजी! अमृतकल में राउर हमनी अंधभक्ति से बहुत खुश बानी। राउर बात सुन के लागत बा कि एकरा से पहिले देश में ना त कवनो देश रहे ना राउर जइसन राजनेता। जबसे राउर पार्टी सत्ता में आइल बा तबसे देश के विकास भइल बा। एकरा से पहिले लोग हवा पी के आपन गुजारा करत रहे। एकरा से पहिले देश में बिजली, पानी, सड़क, रेलवे, अस्पताल, हवाई यात्रा, डीजल, पेट्रोल जईसन सुविधा ना रहे। रउरा शायद एकर इस्तेमाल कबो ना कइले होखीं।
नेताजी, जवना पार्टी के आलोचना करत बानी ओही पार्टी से पांच बेर सांसद रहल बानी। का ऊ पार्टी रउरा के विकसित ना कइलसि? एक जमाना रहे जब रउरा साइकिल से चुनाव प्रचार करत रहीं, बाकि आजु रउरा लगे ओह पार्टी के चलते आधुनिक जिनिगी के सगरी सुविधा मिल गइल बा। आज हमनी के गांव में जवन भी बुनियादी सुविधा बा, उहे पार्टी के बदौलत बा। नेताजी अब जमीन पर आ गईल रहली। कालूराम चाचा के नमन कइके सिर झुकाए चल गईल रहले।

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