मुख्यपृष्ठस्तंभभोजपुरिया व्यंग्य : बियाह में रसगुल्ला उड़ाई अवुरी चुनाव के दांव लगाईं

भोजपुरिया व्यंग्य : बियाह में रसगुल्ला उड़ाई अवुरी चुनाव के दांव लगाईं

प्रभुनाथ शुक्ल भदोही

आजकल हमनी के पूर्वांचल में बियाह के संगे-संगे चुनाव के मौसम बा। जवना के चलते बियाह के जुलूस में बियाह से जादे राजनीति प बहस बढ़ गईल बा। लोकसभा चुनाव लड़े वाला उम्मीदवार भी लड़की अवुरी लड़का के बियाह में दान-दहेज देवे खातिर हाथ बढ़ावतारे। बियाह के जुलूस में खादी अवुरी सफेद कुर्ता-पजामा के चलन परवान चढ़ गईल बा। हर बियाह अवुरी बारात में चुनावी चर्चा गरम हो गईल बा। सभे अपना-अपना उम्मीदवार के पक्ष में जुटल बा। समर्थक अपना-अपना उम्मीदवार के समर्थन दे रहल बाड़े। जीत आ हार के अंतर दू से तीन लाख से कम नइखे। उम्मीदवार स्वतंत्र होखे या दल के सबही क आपन ढोलक आ आपन धुन बा।
जेकरा घर गाँव जवार में शादी-ब्याह बा लोग दू घंटा पहिले ओह घर में पहुँच जाला। राजनीति प बहस के शुरुआत मुंह में मघई पान डाल के शुरू होखेला। राजनीतिक बहस एतना तेज बा कि शादी के आधा रसगुल्ला मुँह में अवुरी आधा रसगुल्ला अंदर। बियाह के जुलूस में पहुंचते सबसे पहिले लोग चाट के ठेला प अइसन भाग जाला जईसे कि दु देश के बीच जंग होखे। मंचूरियन, सगोड़ा, टमाटर चाट के तरह चुनावी बहस भी मसालेदार हो गईल बा। केहू जाति के गणित फिट करत बानी त केहू धर्म क। चुनाव में जीत त एक उम्मीदवार अवुरी एक दल क होखेला लेकिन यहीं चुनावी बखत में सबहीं आपन जीत का दावा करत बाड़ी। लेकिन सबक आपन रोना बा। केहू एह बात से नाराज बा कि पार्टी से उनकर बिरादरी क उम्मीदवार नइखे। दूसरे समर्थक क इ नाराजगी बा कि यहीं बार जीत के बाद भी ओनकर नेता के पार्टी टिकट काट देहल बा। यहीं खातिर सबहीं आपन-आपन दांव फेरई खातिर लगल बा।
चुनाव लड़े वाला उम्मीदवार जीत के बाद गांव अवुरी गरीब के झोपड़ी में भले कबो ना देखाई, लेकिन चुनाव के मौसम में उ लोग बिना बोलवले पहुंचतारे। बारात में शामिल सब लोग के नेताजी गले लगावत बाड़े। सत्ता आ विपक्ष के नेता बस एक दोसरा पर कीचड़ उछालत बानी। मजेदार बात ई बा कि सत्ता में बइठल उम्मीदवार भी गाँव के दुर्दशा खातिर विपक्ष के जिम्मेदार ठहरावत बाड़े। अब अलग बात हौ कि हार-जीत के पैâसला मतदाता के हाथ में बा। लेकिन चुनावी माहौल में बियाह अवुरी बारात में चार चाँद लग गईल बा।

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