प्रभुनाथ शुक्ल, भदोही
कवि निठल्लेराम के कविता के एतना शौक बा कि अब का बताईं। जब भी मन करेला कमरा से बाहर आके गली से गुजरत एगो लईकी के सुंदरता के बखान करे लागेला। उनकर ई हरकत कबो ओकरा के कष्ट उठावेला त कबो बूस्टरडोज के काम करेला। बूस्टरडोज तब मिलेला जब कवनो सुंदर मेहरारू उनका कविता से मंत्रमुग्ध हो जाले आ मुस्कुरा के ओनका के देखत आगे बढ़ जाले। लेकिन जब ई कविताई पर भउजी के दिव्य दृष्टि पड़ जाला त बेलनवार युद्ध शुरू हो जाला। एह से कुछ दिन ले कविता के लय, तुक विसंगत हो जाला। खैर, आजकल ई बेमारी कम हो गइल बा। जबसे कविता ऑनलाइन हो गइल बा। एह परिवेश में निठल्लेराम जइसन कवि श्रोता आ कवि दुनु के भूमिका निभावेलें। एक दूसरे के कविता सुनीं अवुरी ताली बजावत थें।
कबो-कबो हमरा निठल्लेराम पर बहुत तरस आवेला। बाकि एगो बढ़िया स्वभाव वाला पड़ोसी होखला का नाते हम ओह लोग के दर्द समझत बानी। कवि लोग में इहे सबसे बड़ बेमारी ह। अगर ऊ आपन कविता ना सुनावे त अपच के शिकार हो जाला। एह हालत में हमनी के आपन पड़ोसी के कर्तव्य निभावे के ना भुलाएनी जा। बरसात के मौसम में गरम पकोड़ा निगलल हमरा बहुत पसंद बा। जब अइसन लागेला त हम बेधड़क निठल्लेराम के कविता सुनइ घर में जाइले। तुरते भउजाई के आदेश जारी हो जाला कि पकोड़ा तल के गरम चाय ले आवल जाव आ हमनी के निठल्लेराम के कविता के मजा लेबे लागेनी जा। श्रोता के हमेशा एह बात के ध्यान राखे के चाहीं कि वाह-वाह कवि खातिर बूस्टरडोज ह। एकरा चलते कवि के प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो जाला। कविता आ कवि के प्रतिरक्षा कबो खतम ना होला। यहीं खातिर कवितई सुनई मे वाह-वाह करई के चाही।
हमरे मोहल्ला के कवि निठल्लेराम बहुत वरिष्ठ कवि हउवें। उनका कविता लिखे के अतना शौक बा कि शीर्षक खातिर कवनो विषय नइखे रहि गइल। स्थानीय अखबार उनका के कविता श्री के उपाधि देले बाड़े। कवि निठल्लेराम के साहित्य के पद्मश्री देवे क विचार चलत बा। एगो समीक्षक ओनके काव्य संग्रह ‘निठल्लेराम की मधुशाला’ के समीक्षा करत घरी लिखले कि ना भूतो ना भविष्य आ ऊहो बिना पढ़ले। हमनी के लागता कि उनका भी कुछ पुरस्कार के जरूरत बा। चुनाव नजदीक बा, एहसे जनता के सच्चा शुभचिंतक होखला के नाते स्थानीय विधायक भी कवि निठल्लेराम के साहित्य के पद्मश्री देवे के सिफारिश कईले बाड़े।