मुख्यपृष्ठस्तंभभोजपुरिया व्यंग्य : राजनीति में कुर्सी खातिर मरे-जिए पड़ेला

भोजपुरिया व्यंग्य : राजनीति में कुर्सी खातिर मरे-जिए पड़ेला

प्रभुनाथ शुक्ल भदोही

बदलाव जीवन के नियम ह। हमनी के केहू के खूंटा से बान्हल नईखी रख सकत। एही तरे राजनीति के मौसम बा। जे एह मौसम में रहेला ऊ सदाबहार जिनिगी जिएला। इहाँ कबो सूखा ना होला हमेशा बसंत बहार होला। जब चुनाव के मौसम होला त दिल आ पार्टी बदले में एक मिनट भी ना लागेला। राजनीति के एकल सिद्धांत खाली सत्ता ह। कुर्सी खातिर जिए के पड़ेला, कुर्सी खातिर मरे के पड़ेला आ कुर्सी खातिर मारे के पड़ेला। बस, एह मूल सिद्धांत के पालन करे के चाहीं।
भगेलू राम अपना इलाका के बड़का राजनेता हउवन। १५ साल में पच्चीस बेर पार्टी बदल चुकल बाड़े। सत्ता से दूर होखे उ नईखन पावत। काहे कि ठेका, पट्टा, जमीन हड़प, अपहरण, फिरौती, टोल टैक्स, लॉटरी, जुआ, गुंडागर्दी, कबूतरबाजी, शराब के कारोबार, रेलवे के ठेका अवुरी शौचालय के सफाई तक के निविदा अवुरी दखल उनकर ह। अगर सत्ता ओह लोग का हाथ में नइखे त विपक्ष ओह लोग के शांति से ना जिए दी। एह से अपना कुकर्म के छिपावे खातिर सत्ता के सहारा जरूरी बा। सत्ता त्याग क के बईठो त सरकार ओकरा के चैन से ना जिए दिही। सब जांच एजेंसी उनका पाछे चल जईहे।
अबकी बेर भगेलुराम के मार्गदर्शक मंडल में भेज दिहल गइल, बाकि ऊ ई बात पचा ना पवले। शीर्ष नेतृत्व के ए फैसला से उ बहुत नाराज रहले। भगेलुराम के बेड़ा अबकी बेर गर्त में लउकत रहे। वइसे भी अबकी बेर सत्ताधारी दल खातिर हवा ठीक से ना बहत रहे। भगेलुराम के अपना इलाका में बहुत प्रभाव रहे। उनकर आदेश के बिना कवनो पत्ता ना हिलत रहे।
पार्टी के ई फैसला से उ नाराज रहेली। सरकार के खिलाफ जवन पार्टी रहे उ सीधा विपक्ष के नेता से संपर्क कईलेनि अवुरी टिकट के मांग कर दिहले। भगेलुराम इलाका के एगो लोकप्रिय नेता रहले, जवन उनका के चुनाव में हरा सकत रहले। जवना जाति से उ रहले उहो एगो खास समूह रहे। संजोग से भगेलुराम चुनाव जीत गईलन आ नया सरकार में गृहमंत्री भी बन गईलन। फेर का उनकर टिकट रद्द करेवाला लोगन के खिलाफ जांच एजेंसियन के सक्रिय कईके अपना राजनीति के रंग में डूब गईले।

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