मुख्यपृष्ठस्तंभभोजपुरिया व्यंग्य : आदमी के नपुंसक बना देला मच्छर

भोजपुरिया व्यंग्य : आदमी के नपुंसक बना देला मच्छर

प्रभुनाथ शुक्ल भदोही

मच्छर भी का होला। केहू ठीके कहले बा कि मच्छर आदमी के नपुंसक बना देला। जे भी ई बात कहलस ऊ एगो बड़हन शोधकर्ता रहल होई। बिना अनुभव के एह तरह के सोच कइसे पैदा हो सकेला। जरूर ओह आदमी के सामना ओह मच्छर से भइल होखी जवन ओकरा के नपुंसक में बदल दिहलसि। खैर, हम एह कहावत पर कबो विश्वास ना कइनी, बाकि ई सोलह आना साँच बा। अगर रउरा एह ताकतवर मच्छरन से सामना होखे त एह मच्छरन के बहादुरी से भी परिचित होखब। उहो अगर मौसम बरसात होखे आ बिजली खराब होखे त मच्छर से लड़ब कवनो युद्ध से बेसी खतरनाक होला। लड़ाई में हार के घायल योद्धा निहन कराहत रहब, लेकिन मच्छर के हमला फिलहाल रुके वाला नईखे।
आजकल बरसात के मौसम में हमनी के संगे अक्सर अइसन होखेला। काहे कि बिजली आ मच्छर एक दोसरा से तालमेल बनवले बा। वइसे भी आजकल गठबंधन के दौर भी बा। हमरे गाँव में बिजली हल्की बरखा में भी गायब हो जाला। फेर नींद सीमा के पहरा देवे में जाला आ हमनी के मच्छर से जंग लड़ेनी जा। हमरा गजोधर काका मच्छर से लगन से लड़त बानी, बाकि ऊहो हार के रोवे लागेलें। गजोधर काका पे जब मच्छर के हमला बढ़ जाला त नींद में चलत-चलत खैनी बनावे लागेला। दुनिया में अइसन कवनो गारी नइखे जवना के इस्तेमाल ऊ मच्छर भगावे खातिर ना करे। गजोधर काका कहलें की ई कलयुग मे दुश्मन से जंग लड़ब आसान बा, बाकि मच्छर से लड़ब संभव नइखे।
मच्छर के हमला से परेशान गजोधर काका गांव छोड़े पर विचार कर रहल बाड़े। बाकि ई जहाँ जइहें मच्छर ऊहीं मिल जइहें। काका कहले कि मच्छर गुरिल्ला युद्ध ना लड़ले, सायरन बजा के हमला करेले। आतंकवादियन के तरह ईहो गजोधर काका के मच्छरदानी में घुस के हमला करेनी। युद्ध के बखत मच्छर शरीर में अइसन सुंड चुभावेला जेकरा के कवनो जबाब नइखे। देह अइसन जरेला जईसे केहु मिर्च के लेप लगा देले होखे। कई बेर हमला अतना भयावह आ खतरनाक होला कि जान पर खतरा मंडरा जाला। भगवान हमनी के मलेरिया आ डेंगू से बचावस। सरकार भी मच्छरन के सामने झुक रहल बिया। ई अइसन चरमपंथी हवें जिनका के खतम कइल मुश्किल बा। जे कहले रहे कि मच्छर आदमी के नपुंसक बना देला, उ साँच कहले रहे।

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