सामना संवाददाता / मुंबई
छगन भुजबल बड़े कलाकार हैं। उन्होंने फिल्मों में भी काम किया है। कई बार रंग, रूप बदलकर नौटंकी भी कर चुके हैं और उसमें वे माहिर भी हैं। भुजबल क्यों गए? वैâसे गए? इसे लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में क्या घमासान मचा यह सभी को पता है। लेकिन शरद पवार सबसे बड़े नटसम्राट हैं। देश के साथ ही महाराष्ट्र की राजनीति में उन्हें एक अलग सम्मान मिला हुआ है। महाराष्ट्र एक खुला रंगमंच है और वे इसमें घूमते रहते हैं। छगन भुजबल जैसे लोग घूमते रंगमंच के कलाकार हैं। इस तरह का तीखा तंज शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने कसा है।
अजीत पवार गुट के वरिष्ठ नेता और मंत्री छगन भुजबल ने बारामती की एक सभा में शरद पवार की आलोचना की थी। अगले ही दिन उन्होंने शरद पवार से उनके आवास पर मुलाकात की। इसके लिए उन्हें करीब एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा। लेकिन इसके बाद दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे तक चर्चा हुई। इस मुलाकात पर राजनीतिक हलके में भी प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। गुरुवार सुबह मीडिया ने सांसद संजय राऊत से भुजबल-पवार की मुलाकात पर सवाल किया। इस सवाल का उन्होंने जोरदार तरीके से जवाब दिया।
लाडली बहन को दो १० हजार
सांसद संजय राऊत ने लाडली बहन और लाडला भाई योजना पर भी करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पर आठ लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। यह कोई छोटी राशि नहीं है। लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद सरकार नई-नई योजनाएं लाई है। महाराष्ट्र की लाडली बहन योजना भी मध्य प्रदेश की कॉपी है। अब लाडला भाई योजना भी लाए हैं। लाडला भाई जिसने १२वीं पास किया है, उसे यह सरकार ६,००० रुपए जबकि जो ग्रेजुएट बेरोजगार है उसे १०,००० रुपए देगी। फिर लाडली बहन को १,५०० रुपए ही क्यों? मुख्यमंत्री के घर में क्या लाडली बहन और लडली बहू का १,५०० रुपए में घर चलेगा? क्या यह लाडली बहन पर अन्याय नहीं है? इस तरह के सवाल करते हुए संजय राऊत ने कहा कि हमारी मांग है कि लाडली बहन को भी १०,००० हजार रुपए देते हुए महाराष्ट्र में महिलाओं पुरुषों में समानता को दिखाएं।
जीतेंगे २८० सीटें
विधानसभा चुनाव से पहले हुए सर्वे में जानकारी सामने आई है कि महाविकास आघाड़ी को ज्यादा से ज्यादा सीटें मिलेंगी। इस सवाल का जवाब देते हुए संजय राऊत ने कहा कि लोकसभा चुनाव में महायुति कह रही थी हमें १० सीटें भी नहीं मिलेंगी। लेकिन हमने ३१ सीटों पर जीत हासिल की, जबकि चार सीटों पर हमें बहुत ही कम अंतर से पराजय का सामना करना पड़ा। विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना, शरद पवार के नेतृत्व में राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस मिलकर २८० सीटें जीतेंगी।
मविआ का यह है फार्मूला
शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस पार्टी २८८ सीटों का परीक्षण और अध्ययन कर रही हैं। तीनों दलों का अध्ययन पूरा होने के बाद हम साथ बैठेंगे और तय करेंगे कि किसे, कहां और किस सीट पर चुनाव लड़ना है। संजय राऊत ने कहा कि हमारा फॉर्मूला यह है कि लोकसभा की तरह जो जीत सकता है, उसे ही वह निर्वाचन क्षेत्र मिलेगा।