राज्य में जगह-जगह लाडली बहन योजना की प्रचार सभाएं हो रही हैं और हर जगह कुछ न कुछ हंगामा हो रहा है। रक्षाबंधन के अवसर पर महिलाओं की एक सभा में मुख्यमंत्री शिंदे महिलाओं से बार-बार पूछ रहे हैं, ‘क्या आपको पैसे मिले? मिल गए न पैसे? क्या आपको पैसे मिले?’ इस पर सामने की भीड़ में से एक महिला जोर से चिल्लाई, ‘हां, हां, मिल गए। क्या ये पैसे खोकेवाला सरकार के बाप के हैं?’ ये महिलाओं के मन का आक्रोश है। ‘लाडली बहन’ योजना पर चुटकुले भी खूब चल रहे हैं और लोग उन चुटकुलों का मजा भी ले रहे हैं। कपड़े धोकर लौटते वक्त एक महिला फिसल कर गिर गई। लाडली बहन के पीछे फडणवीस, शिंदे और गुलाबी जैकेट में अजीत पवार थे। उन्होंने महिला को उठने में मदद की। महिला, यानी लाडली बहन ने उनका आभार जताया। इस पर फडणवीस ने कहा, ‘मेरी लाडली बहन, क्या आपने हमें पहचान लिया है? हम ही हैं जो बहनों को १,५०० रुपए बांटते फिर रहे हैं। मैं फडणवीस, ये शिंदे हैं और ये गुलाबी जैकेट वाले अजीत पवार। हमने उठने में आपकी मदद की। हमने इसके लिए १,५०० रुपए दे दिए। तो फिर, क्या आप २०२४ में हमें ही वोट देंगी?’ लाडली बहन मुस्कुराई और बोली, ‘प्यारे भाई, जाओ हवा आने दो। पीठ के बल गिरी थी, मैं सिर के बल नहीं।’ तो कुल मिलाकर यही है। यवतमाल में ‘लाडली बहन’ कार्यक्रम में हंगामे की वजह से मुख्यमंत्री शिंदे को अपना भाषण रोकना पड़ा। यवतमाल में ‘लाडली बहन’ योजना का कार्यक्रम चल रहा था। अजीत पवार-फडणवीस के भाषण खत्म हुए और मुख्यमंत्री शिंदे भाषण के लिए खड़े हुए। भाषण शुरू होते ही महिलाएं हंगामा करने लगीं। आवेदन फार्म भरने के बाद भी हमें पैसा नहीं मिला। इसलिए मुख्यमंत्री शिंदे को अपना भाषण रोककर उन महिलाओं को बात समझानी पड़ी। ‘पैसा मिलेगा, पैसा मिलेगा’ बार-बार कहना पड़ा। ‘लाडली बहन’ योजना का प्रचार यानी १,५०० रुपए में वोट मांगने का जबरदस्त शानदार अभियान है, वह भी सरकारी पैसे से चल रहा है। इसके लिए भव्य मंडप और मंच बनाए जा रहे हैं। दर्शक दीर्घा में महिलाओं द्वारा मुख्यमंत्री पर गुलाबी पंखुड़ियों की बौछार करवाई जा रही है। महाराष्ट्र के इतिहास में किसी योजना को लेकर इतनी लाचार स्थिति कभी नहीं हुई। लाडली बहनें मानो गुलामों की तरह हैं और १,५०० रुपए में बहनों को गुलाम बनाने की योजना चलाई जा रही है। मुख्यमंत्री शिंदे १,५०० रुपए बांटते फिर रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री कल ‘लखपति दीदी’ योजना के लिए जलगांव आए थे। हालांकि, ये सच है, लेकिन बहनों की सुरक्षा पर कोई बात करने को तैयार नहीं है। बांग्लादेश में हिंदुओं और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार पर देश के गृहमंत्री टिप्पणी करते हैं। उन्हें बांग्लादेश के हिंदुओं की चिंता है, लेकिन महाराष्ट्र में ‘लाडली बहनों’ पर अत्याचार उन्हें विचलित नहीं करता।’ लाडले भाई बेरोजगार हैं। उन्हें क्या मिलेगा? उन्हें कौन देगा? महायुति सरकार का एक प्यारा बेटा और एक प्यारी बेटी है। यह प्यारा बेटा फिलहाल ‘वर्षा’ बंगले से राज्य प्रशासन को धमकाकर राज चला रहा है। चुनाव के होने तक दो-एक महीने राज्य में सभी लाडले हैं। इन लाडलों की राजनीति में महाराष्ट्र की तिजोरी खाली हो रही है और कल कर्मचारियों को तनख्वाह तक नहीं दी जा सकेगी। बेरोजगार युवाओं को अपना मोबाइल फोन रिचार्ज कराना मुश्किल हो गया है। एक मजेदार मांग उठी है कि सरकार को कम से कम लाडले बेरोजगारों के लिए फोन रिचार्ज योजना की घोषणा करनी चाहिए। स्वतंत्रता दिवस पर ‘लाडली बहन’ योजना पर जालना के भूरा का भाषण इस समय चर्चा में है। भूरा ने अपने खास अंदाज में भाषण में कहा, ‘‘सरकार को ‘लाडली बहन’ योजना की तरह बच्चों के लिए भी ‘लाडले बच्चे’ योजना शुरू करनी चाहिए।’ भूरा कहता है, ‘देश तो आजाद हो गया, लेकिन क्या हम जैसे छोटे बच्चों को आजादी मिली? कोई भी आकर हम जैसे लड़कों से काम करने के लिए कहता है। हम घर के सभी छोटे-मोटे काम करते हैं। अगर छुट्टी होती है, तो घर और जंगल के दोनों काम हमें ही करने पड़ते हैं। अब सरकार बड़े लड़कों की तनख्वाह शुरू करेगी। पहले से ही उनके पास कोई काम-धंधा नहीं है। अब वे दिनभर मोबाइल में डूबे रहेंगे। सरकार उनकी तनख्वाह शुरू कर देगी तो वह अब जंगल का भी काम नहीं करेंगे। तो हम जैसे लड़कों ने सरकार की कौनसी भैंस चुराई है? हमारी भी तनख्वाह शुरू हो जानी चाहिए। हमें भी अपने खर्चा-पानी के लिए पैसों की जरूरत होगी। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह ‘लाडले बच्चे’ योजना शुरू करे और हमारी तनख्वाह शुरू करे!’ भूरा ने जो सच है वही कहा। भूरा के पास दिमाग है। उसे भी ‘लाडली बहन’ योजना का लाभ चाहिए। भूरा भी सिर के बल नहीं गिरा है बिना दिमाग वाली सरकार इसे ध्यान में रखे!