२.४१ करोड़ घरों में लगाए जाएंगे प्रीपेड मीटर
स्मार्ट मीटर से हटाया प्रीपेड शब्द
उपभोक्ताओं में पैदा हुआ भ्रम
सामना संवाददाता / मुंबई
भले ही ‘स्मार्ट प्रीपेड’ मीटर को हर तरफ से विरोध का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन महावितरण ने साफ तौर पर कहा है कि यह मीटर उत्कृष्ट है। फिलहाल इस मीटर को लेकर नागरिकों में आक्रोश को देखते हुए आनन-फानन में महावितरण ने महा झोल कर डाला है। इसके तहत महावितरण ने पहले खुद के कार्यालयों समेत बिजली कर्मचारी गालों में लगाए गए स्मार्ट मीटरों से प्रीपेड शब्द को ही हटा दिया है। ऐसी स्थिति में प्रदेश के लघु दबाव श्रेणी बिजली उपभोक्ताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। दूसरी तरफ जानकारों का मानना है कि इस पर महावितरण केवल करोड़ों की फिजूलखर्ची करने का ही काम करने जा रही है। बताया गया है कि राज्य में २.४१ करोड़ बिजली उपभोक्ताओं के घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने की तैयारी महावितरण ने की है।
उल्लेखनीय है कि महावितरण राज्य के सभी लघु दबाव श्रेणी के २.४१ करोड़ बिजली उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे। महावितरण शुरू से ही इस मीटर का गुणगान करती रही है। हालांकि, इस मीटर का विरोध बढ़ता जा रहा है। राज्य में विभिन्न संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी प्रीपेड स्मार्ट मीटर के खिलाफ नागरिक संघर्ष समिति बनाकर एकजुट लड़ाई का एलान किया है। इस लड़ाई को समाप्त करने के साजिश के तहत महावितरण ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए प्रीपेड शब्द को हटाए जाने की जानकारी दी है। दिलचस्प बात यह है कि पिछले सप्ताह महावितरण ने कुछ प्रेस विज्ञप्तियों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर का पूरा उल्लेख किया था। लेकिन अब महावितरण के १८ कार्यालयों और ३२३ आवासों में स्मार्ट मीटर लगाए जाने की जानकारी देते हुए बताया गया है कि उनके मीटरों से प्रीपेड शब्द हटा दिया गया है। इस तरह के हथकंडे से महावितरण एक तरह से ग्राहकों के बीच भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रही है। इस बारे में पूछे जाने पर महावितरण के मुख्य जनसंपर्क विभाग कार्यालय ने जवाब देने से इनकार कर दिया।
वर्तमान में बिजली उपभोक्ताओं को महावितरण के माध्यम से स्मार्ट बिजली मीटर मिल रहे हैं। इस मीटर में मासिक बिजली खपत की नियमित रीडिंग बिजली कंपनी द्वारा नियुक्त स्थाई या संविदा कर्मचारियों द्वारा हर महीने की जाती है। उसी आधार पर ग्राहक को भुगतान भेजा जाता है। हालांकि, स्मार्ट प्रीपेड मीटर ‘मोबाइल’ रिचार्ज की तरह काम करेगा। ग्राहक उतना ही बिजली का उपयोग कर सकेंगे, जितना वे भुगतान करेंगे। इस मीटर में उसने कितनी बिजली इस्तेमाल की है इसकी जानकारी ग्राहक एक पल में अपने मोबाइल फोन पर ऐप के जरिए देख सकता है।
करोड़ों की फिजूलखर्ची
महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन के प्रदेश महासचिव कृष्णा भोयर ने कहा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर का हर तरफ विरोध हो रहा है। उपभोक्ताओं को गुमराह करने के लिए महावितरण पहले यह दिखा रही है कि वह अपने कार्यालयों और स्टाफ क्वार्टरों में प्रीपेड मीटर लगा रही है। लेकिन अब प्रेस विज्ञप्ति से प्रीपेड शब्द को हटाकर यहां लगे मीटरों का भुगतान भी पोस्टपेड मोड में किया जाएगा। फिर नए मीटरों पर करोड़ों क्यों बर्बाद किए जा रहे हैं? इस तरह का सवाल भी उन्होंने उठाया है।