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महिलाओं की सुरक्षा में बड़ी चूक! …विलेपार्ले स्टेशन के महिला प्रसाधन गृह में पुरुष का डेरा

लापरवाह रेल प्रशासन को सुरक्षा की नहीं चिंता
कब मिलेगी इन समस्याओं से निजात?
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में महिलाएं रेलवे स्टेशनों पर भी असुरक्षित महसूस कर रही हैं। महिलाओं की सुरक्षा के प्रति रेलवे के गैर जिम्मेदाराना रवैए पर आए सवाल उठ रहा है। वेस्टर्न रेलवे के विलेपार्ले स्टेशन की ताजा घटना ने इस सवाल को एक बार फिर सामने ला दिया है। विले पार्ले के प्लेटफॉर्म नंबर एक और दो पर स्थित महिला प्रसाधन गृह में एक पुरुष को सोता हुआ पाया गया है, जिसके बाद से ही इस मामले को लेकर हलचल मची हुई है।
दरअसल, विले पार्ले के प्लेटफॉर्म नंबर एक और दो पर स्थित महिला प्रसाधन के बाहर एक महिला कर्मचारी को देखभाल के लिए बैठाया गया है, लेकिन यही महिला कर्मचारी अपनी ड्यूटी को भूलकर नियमों की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। महिला कर्मचारी ने महिला प्रसाधन गृह में अपने पति को सोने के लिए भेज दिया और इस दौरान उसने प्रसाधन के गेट को बाहर से बंद कर दिया। इसके बाद वह प्रसाधन के लिए आनेवाली महिलाओं को पुरूष प्रसाधन का इस्तेमाल करने के लिए कहने लगी। ऐसे में अब लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि अगर इस दौरान कोई महिला प्रसाधन का इस्तेमाल करती है और उसके साथ कुछ गलत हो जाता तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? क्या रेलवे की यह जिम्मेदारी नहीं बनती है कि वह स्टेशनों पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए खास बंदोबस्त करे।
मची है लूट
इतना ही नहीं, विलेपार्ले स्टेशन पर प्रसाधन को लेकर भी लूट मची हुई है। वैसे तो महिला प्रसाधन के बाहर दीवार पर वॉशरूम के लिए एक रुपया और टॉयलेट के लिए पांच रुपए लिखा है, लेकिन महिलाओं के प्रसाधन का इस्तेमाल करने पर उनसे पांच रुपए लिए जाते हैं। इसी स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर तीन और चार पर स्थित महिला प्रसाधन गृह की स्थिति काफी दयनीय है। प्रसाधन की छत के प्लास्टर टूटे हुए हैं। यहां भी महिलाओं से प्रसाधन का इस्तेमाल करने पर पांच रुपए लिए जाते हैं।

इस बड़ी लापरवाही पर यात्रियों का कहना है कि अगर महिलाएं स्टेशन पर ही सुरक्षित नहीं हैं तो वह यात्रा वैâसे करेंगी। सुरेंद्र मोरे नाम के एक शख्स ने इस घटना पर अफसोस जताते हुए बताया कि कई स्टेशनों पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए पर्याप्त जीआरपी के जवान नहीं हैं। रेलवे केवल बड़े-बड़े दावे करना जानती है। पता नहीं कब रेलवे महिलाओं की सुरक्षा के प्रति अपनी आंखें खोलेगी और उन्हें इन समस्याओं से निजात मिलेगी।

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