-मनपा और होर्डिंग कंपनी की थी मिलीभगत
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई के घाटकोपर में हुए होर्डिंग हादसे को लेकर एसआईटी ने ३,२९९ पन्नों की चार्जशीट मुंबई की कोर्ट में पेश की है, जिसमें हैरान करनेवाले खुलासे हुए हैं। चार्जशीट के अनुसार करीब २५० टन वजनी यह होर्डिंग रेलवे की जमीन पर लगाया गया था। जहां इस होर्डिंग को लगाया जा रहा था, वहां की जमीन काफी नरम थी, जिसे लेकर जेसीबी ऑपरेटर ने वहां उपस्थित संबंधित अधिकारियों को चेताया भी था, लेकिन उन्होंने ऑपरेटर की एक न सुनी। इस पूरे मामले में मनपा और होर्डिंग कंपनी की मिलीभगत भी सामने आई है। बता दें कि १३ मई की शाम तूफानी हवा के कारण होर्डिंग गिर गया था, जिसमें १७ लोगों की मौत हुई थी और ७४ लोग घायल हुए थे जबकि कई वाहन क्षतिग्रस्त हुए थे।
आरोपियों को थी होर्डिंग लगवाने की जल्दबाजी
कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट के अनुसार, जब होर्डिंग लगाने का काम किया जा रहा था तब वहां एक पेड़ गिरा था। इस घटना से जेसीबी मशीन ऑपरेटर को मिट्टी के सॉफ्ट होने का पता चला था। उसने मिट्टी की पूरी तरह से जांच कराने की सिफारिश कंपनी से की थी, लेकिन इस जांच में १५ दिन का समय लग सकता था। ईगो मीडिया के डायरेक्टर और मुख्य आरोपी भावेश भिडे १५ दिन का इंतजार नहीं करना चाहते थे। उन्होंने इसे नजरअंदाज किया और मिट्टी की जांच किए बिना ही होर्डिंग लगवा दिया। एसआईटी के अनुसार, यह लापरवाही होर्डिंग गिरने के मुख्य कारण में से एक है। खुदाई करने वाला ऑपरेटर पुलिस चार्जशीट में शामिल १०० से अधिक गवाहों में से एक है।
कई मनपा अधिकारी के खिलाफ जांच
म्युनिसिपल कमिश्नर भूषण गगरानी ने बताया कि होर्डिंग लगाने के लिए मनपा से कोई अनुमति नहीं ली गई थी। होर्डिंग के आसपास के पेड़ों को जहर देकर सुखाने के मामले में पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई गई थी। आरोपियों में से एक भावेश भिडे, निलंबित आईपीएस अधिकारी कैसर खालिद का जानने वाला है। चार्जशीट के अनुसार, खालिद, भिडे और मनपा लाइसेंस इंस्पेक्टर सुनील दलवी ने ईगो मीडिया के लिए होर्डिंग कॉन्ट्रेक्ट दिलवाने के लिए कानूनी खामियों का फायदा उठाया।