रमेश ठाकुर / नई दिल्ली
हाथरस भगदड़ मामले में हुई पहली एफआईआर में बाबा सूरजपाल का नाम नहीं है, सिर्फ उनका मुख्य आयोजक वेदप्रकाश मधुकर नामजद है। बाबा और वेदप्रकाश दोनों फरार हैं। दोनों आरोपी हैं, इसकी पूरी जानकारी पुलिस के पास है। लेकिन हाथ नहीं डाल रही, तभी विपक्षी दलों ने प्रदेश सरकार और भाजपा पर बाबा को बचाने का आरोप लगाया है। आरोप इसलिए भी सच साबित होते हैं। भक्त जब पैरों तले कुचले जा रहे थे, तब बाबा अपने काफिले के साथ भागने की फिराक में था और मौका पाते ही मैनपुरी वाले बिछुआ आश्रम में भाग गया, जहां उनकी आखिरी लोकेशन मिली है। वहां पहुंचकर उसने अपना फोन बंद किया। सूचना पर स्थानीय पुलिस का एक डीएसपी उनके आश्रम गया, करीब घंटे भर अंदर रहा। डीएसपी का इंतजार बाहर मीडियाकर्मी कर रहे थे। जब वह बाहर निकले तो पत्रकारों से बोले, ‘बाबा अंदर नहीं हैं, जबकि बाबा अंदर ही था। लोगों ने देखा कि बुधवार तड़के आश्रम से भाजपा का झंडा लगी पांच-सात कारें बाहर निकलीं। चर्चा है कि बाबा उन्हीं में बैठा था।
भागने के बाद बाबा ने आश्रम के करवाए सभी गेट बंद
मैनपुरी का बिछुआ आश्रम 21 बीघे में फैला हुआ है। आश्रम में बाबा लग्जरी लाइफ जीता है। प्रत्येक सुविधाएं हैं। बाबा भागकर जब वहां पहुंचा, तो सबसे पहले उसने आश्रम के गेट बंद करवाए। स्थानीय प्रशासन को बोलकर आश्रम के चारों ओर पुलिस फोर्स तैनात करवा ली। सूत्र बताते हैं कि बाबा आधी रात हाथरस से आश्रम पहुंचा था।
गिरफ्तार किया जाए बाबा-महिला आयोग
दिल्ली से राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा भी बुधवार को अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचीं। घटना का मुआयना, अस्पताल में भर्ती घायलों का हालचाल जाना। हादसे में जान गंवाने वाले 125 लोगों में 114 महिलाएं हैं। रेखा शर्मा ने कहा कि बाबा और उनके सेवादारों के ऊपर पांच-पांच लाख रुपए का इनाम घोषित हो, ताकि जल्द गिरफ्तार किए जाए। उन्होंने कहा कि ये बाबा नहीं, शातिर दिमाग का कोई अपराधी दिखता है। बाबा पर पहले से ही बलात्कार का आरोप है। कई साल उसने उत्तर प्रदेश पुलिस में काम भी किया था।