सामना संवाददाता / मुंबई
स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव आगामी चार महीनों में करवाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। इससे पिछले पांच से सात वर्षों से नगरसेवक बनने का सपना देख रहे कार्यकर्ताओं में चुनाव को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट से चुनाव कराने के आदेश मिलते ही पुणे में आगामी चुनाव के लिए `एकला चलो’ का सुर भाजपा के भीतर सुनाई देने लगा है। इसकी शुरुआत पुणे से साफ दिख रही है। यहां शिंदे गुट और अजीत पवार गुट को दरकिनार कर भाजपा अकेले दम पर लड़ेगी। ऐसी मंशा साफ तौर पर यहां के भाजपा नेताओं ने जाहिर की है, जिससे साफ हो गया है कि आगामी मनपा चुनाव में महायुति में फूट तय है। भाजपा नेताओं ने `एकला चलो’ का सुर पकड़ लिया है।
पुणे महानगरपालिका में अकेले के दम पर भाजपा १०५ से अधिक नगरसेवक चुनकर लाएगी, ऐसा भाजपा शहराध्यक्ष धीरज घाटे ने कहा है। यही हाल मुंबई में भी देखने को मिल रहा है। मुंबई में भी भाजपा के लोग शिंदे और अजीत पवार को महत्व नहीं दे रहे हैं। ऐसे में यहां भी महायुति में बिगाड़ होना तय है। सूत्रों की मानें तो यदि भाजपा ने अजीत पवार और शिंदे गुट को बंटवारे में ज्यादा सीटें नहीं दी तो उनकी नाराजगी का नुकसान भी भाजपा को हो सकता है।
भाजपा के एक नेता ने कहा कि अगर चुनाव महायुति के रूप में लड़े गए तो उम्मीदवारी मिलने की संभावना बहुत कम हो जाएगी इसीलिए कई स्थानीय पदाधिकारी और कार्यकर्ता नाराज हो जाएंगे, जिसे देखते हुए कार्यकर्ताओं के साथ नेता भी ‘एकला चलो’ की भूमिका में दिख रहे हैं। कई पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने यह स्पष्ट किया है कि उन्हें महायुति नहीं चाहिए।
साइडलाइन करने में जुटी भाजपा
बता दें कि मुंबई और पुणे में भाजपा खुद को बड़ी ताकत समझ रही है। पार्टी के नेता अकेले अपने बल पर भी महानगरपालिका में सत्ता लाने का दावा कर रहे हैं। पिछले चुनाव में भाजपा के कुल १०० नगरसेवक चुने गए थे। साथ ही २०१७ में चुनाव जीतकर आए पांच पूर्व नगरसेवकों ने हाल ही में भाजपा में प्रवेश किया है, जिससे अब भाजपा के पास कुल १०५ पूर्व नगरसेवक हैं। मुंबई में भी २२७ सीटों में से भाजपा के ८१ नगरसेवक चुनकर आए थे। ऐसे में भाजपा इस बार जीतने का दावा कर रही है। साथ ही चुनाव से पहले शिंदे और अजीत पवार को साइडलाइन करने में जुटी है।