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भाजपा सरकार का गोरखधंधा … ड्रग टेस्ट में फेल हुई दवा कंपनियों ने दिया करोड़ों रुपए का चंदा!

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
चुनावी बॉन्ड की आड़ में केंद्र सरकार का गोरखधंधा सामने आया है। जानकारी के मुताबिक जिन कंपनियों पर घटिया दवाइयां बनाने के नाम पर छानबीन चल रही है, उन कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के जरिए करोड़ों रुपए का चुनावी चंदा दिया है। इतना ही नहीं, जो फार्मा कंपनियां ड्रग टेस्ट में फेल हो गई हैं, उन कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के जरिए करोड़ों रुपए का चुनावी चंदा दिया है।
इन कंपनियों की वे दवाइयां ड्रग टेस्ट में फेल हुई हैं, जो ब्लड प्रेशर, वैंâसर, डायबिटीज, हार्ट फेल होने जैसी स्थिति में दी जाती हैं। कई कंपनियां तो ऐसी हैं, जो ड्रग टेस्ट में एक-दो बार नहीं, बल्कि ६-७ बार फेल हुई हैं। दवाओं की गुणवत्ता में जिस तरह की खामियां पाई गई हैं, उन पर जानकारों का कहना है कि उनका लाइसेंस रद्द हो जाना चाहिए था। चुनावी बॉन्ड के खुलासे से यह निष्कर्ष निकलकर आता है कि ड्रग टेस्ट में फेल ज्यादातर दवा कंपनियों का चंदा भाजपा के खाते में गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, साल २०१८ से २०२३ के बीच एक नामचीन फार्मा कंपनी की बनाई दवाएं सात बार ड्रग टेस्ट में फेल हुर्इं। जिन दवाओं के टेस्ट फेल हुए, उन दवाओं का इस्तेमाल कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोगों के खतरे को कम करने के लिए किया जाता है। कुछ अन्य वैंâसर कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और सर्जरी के कारण होने वाली मितली और उल्टी को रोकने के लिए उपयोग में आती हैं। इस दवा कंपनी ने २०१९ और २०२२ के बीच ३९.२ करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड खरीदे, जिनमें से ३७ करोड़ रुपए के बॉन्ड भाजपा को दिए गए थे। इसी तरह एक और प्रख्यात फार्मा कंपनी साढ़े ३१ करोड़ रुपए का चुनावी बॉन्ड के जरिए चुनावी चंदा खरीदा और सारा चुनावी चंदा भाजपा के खाते में गया।

३५ दवा कंपनियों ने दिए ८०० करोड़ रुपए
बॉन्ड से जुड़े विवरण से यह खुलासा हो रहा है कि तकरीबन ३५ फार्मास्यूटिकल कंपनियों ने करीब ७९९ करोड़ रुपए का चुनावी बॉन्ड खरीदा है। इनमें से तकरीबन सात ऐसी हैं, जिन्होंने चुनावी बॉन्ड खरीदकर चुनावी चंदा तब दिया, जब उन पर खराब किस्म की दवाई बनाने के आरोप में छानबीन चल रही थी।

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