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२०१९ के चुनाव में भाजपा ने बहाए थे रु. २७ हजार करोड़! … कुल खर्च का ४५ फीसदी किए थे व्यय

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
भाजपा अपनी आय से ज्यादा खर्च कर रही है। इस संबंध में एक सनसनीखेज रिपाेर्ट प्रकाशित हुई है। ‘द वायर’ पर प्रकाशित एम. राजशेखर की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष २०१४-१५ से २०२२-२३ के बीच भाजपा की जितनी कुल आय थी, पार्टी ने उससे करीब सात से आठ गुना ज्यादा कार्यालय बनवाने और प्रचार करने पर खर्च कर दिया। सत्ता में आने के कुछ महीनों बाद अगस्त २०१४ में पीएम मोदी ने कहा था कि देश के सभी राज्यों और जिलों में आधुनिक संचार सुविधाओं से लैस भाजपा का कार्यालय होना चाहिए। इसके अलावा २०१९ के चुनाव में भाजपा ने २७,००० रुपए खर्च किए थे।
रिपोर्ट के अनुसार, २०१४ और २०२३ के दौरान भाजपा द्वारा आधिकारिक तौर पर घोषित आय १४,६६३ करोड़ रुपए थी, जो उसके खर्चों से बहुत कम है। केवल इमारतों के निर्माण और चुनाव प्रचार का ही खर्च १०७,८०३ करोड़ रुपए के बीच पहुंच सकता है। यह २०१४-१५ से २०२२-२३ के बीच पार्टी की घोषित आय १४,६६३ करोड़ रुपए से कई गुना अधिक है। भाजपा को चुनावी बॉन्ड से जितना धन मिला है वह भी इसका १० फीसदी नहीं है। बता दें, २०१७-१८ से २०२२-२३ के बीच भाजपा को चुनावी बॉन्ड से ६,५०० करोड़ रुपए से ज्यादा मिले हैं। भाजपा की वार्षिक रिपोर्ट से पता चलता है कि पार्टी ने वित्त वर्ष २०१५-१६ से २०२२-२३ के बीच चुनाव प्रचार पर कुल ५,७४४ करोड़ रुपए खर्च किए हैं। हालांकि, सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) जैसे स्वतंत्र अध्ययन संस्थान का मानना है कि भाजपा ने अकेले २०१९ के चुनावों पर करीब २७,००० करोड़ रुपए खर्च किए थे। सीएमएस का यह भी मानना है कि २०१९ के आम चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा किए गए कुल खर्च (६०,००० करोड़ रुपए) का लगभग ४५ फीसदी अकेले भाजपा ने किया था। २०२४ के चुनावों में दोगुना खर्च (१,३५,००० करोड़ रुपए) होने का अनुमान है। भाजपा के उम्मीदवारों ने भी चुनाव आयोग द्वारा तय सीमा (प्रति निर्वाचन क्षेत्र एक करोड़ रुपए) से ज्यादा खर्च किया है। १९९८ के आम चुनावों में कुल व्यय में भाजपा की हिस्सेदारी बहुत मात्र २० फीसदी थी। भाजपा ने पूरे देश में अपने कार्यालयों ने निर्माण पर बड़ी रकम खर्च की है। देश के सभी जिलों में नया कार्यालय बनाया गया है। कुछ स्थानों पर अभी भी काम जारी है।
साल २०२० में भाजपा के महासचिव अरुण सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा था, ‘पहले हमारे किसी एक विधायक या स्थानीय नेता के घर पर पार्टी कार्यालय हुआ करता था। इस वजह से कई दूसरे नेता कार्यालय आने से परहेज करते थे। चूंकि अब पार्टी बड़ी हो गई है, इसलिए उसके पास पुस्तकालय, सम्मेलन कक्ष और वीडियो और ऑडियो कॉन्फ्रेसिंग रूम जैसी सभी सुविधाओं के साथ अपने कार्यालय होने चाहिए।’

 

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