सरकार के काम से ४४ फीसदी असंतुष्ट सिर्फ २७ फीसदी संतुष्ट
सामना संवाददाता / मुंबई
हरियाणा विधानसभा चुनाव की गर्मी बढ़ती जा रही है। हर पार्टी ने कमर कस ली है। मगर इस बार सत्ताधारी भाजपा के कमल की बत्ती गुल होनेवाली है। यह निष्कर्ष एक ताजा सर्वेक्षण का है।
बता दें कि हरियाणा की ९० विधानसभा सीटों पर आगामी १ अक्टूबर को मतदान होगा, जबकि चुनाव के नतीजे ४ अक्टूबर को आएंगे। इसी बीच टीवी चैनल ‘आज तक’ ने ‘मूड ऑफ द नेशन’ सर्वे किया है। इस सर्वे के मुताबिक हरियाणा के २७ फीसदी लोगों का कहना है कि वह सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं, जबकि ४४ फीसदी लोगों का कहना है कि वह सरकार के काम से असंतुष्ट हैं। ‘मूड ऑफ द नेशन’ सर्वे के मुताबिक, हरियाणा में २९ फीसदी लोग सांसदों के प्रदर्शन से संतुष्ट है, जबकि २१ फीसदी लोग कुछ हद तक संतुष्ट हैं, वहीं ३८ फीसदी लोग ऐसे हैं, जो सांसदों के कामकाज से असंतुष्ट हैं। अगर बात विधायकों के प्रदर्शन की बात करें तो ३३ फीसदी जनता विधायकों के कामकाज से संतुष्ट है, जबकि २० फीसदी लोग कुछ हद तक संतुष्ट हैं, वहीं ४० फीसदी लोग विधायकों के प्रदर्शन से नाराज यानी असंतुष्ट हैं। हरियाणा के सबसे बड़े मुद्दे पर सवाल पूछा गया तो ४५ फीसदी लोगों ने कहा कि बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है, जबकि सिर्फ ३ फीसदी लोगों ने कहा कि करप्शन बड़ा मुद्दा है। १४ फीसदी लोगों का कहना है कि महंगाई बड़ा मुद्दा है। बता दें कि सूबे की सत्ता पर फिलहाल भाजपा काबिज है। २०१९ में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ३६.७ फीसदी वोट शेयर के साथ ४० सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। तब कांग्रेस को २८.२ फीसदी वोट मिले थे और पार्टी ३१ सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही थी। दुष्यंत चौटाला की नई-नवेली जेजेपी १४.९ फीसदी वोट शेयर के साथ १० सीटें जीतने में सफल रही थी। इसके अलावा हरियाणा लोकहित पार्टी ने एक फीसदी से भी कम वोट शेयर के साथ एक सीट पर जीत हासिल की थी। ७ निर्दलीय भी चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचने में सफल रहे थे। हालांकि, कोई भी पार्टी बहुमत के लिए जरूरी ४६ सदस्यों के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई थी।
हरियाणा में सबसे बड़ा मुद्दा क्या है? इस सवाल पर ४५ फीसदी लोगों ने कहा कि बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है, जबकि सिर्फ ३ फीसदी लोगों ने करप्शन को बड़ा मुद्दा बताया। १४ फीसदी लोगों के अनुसार, महंगाई बड़ा मुद्दा है।