– दो रुपए प्रति यूनिट बढ़ सकती हैं बिजली की दरें
– डेढ़ गुना होगा २.८५ करोड़ ग्रामीणों का बिल
सामना संवाददाता / लखनऊ
लोकसभा चुनाव में यूपी में जिस तरह से भाजपा को हार मिली है उससे वह तिलमिलाई हुई है। भाजपाई अब इस हार का बदला अप्रत्यक्ष रूप से ग्रामीणों से लेने पर उतारू हो गए हैं और अब इसका असर भी दिखने लगा है। इस भीषण गर्मी में सरकार बैकडोर से बिजली महंगी करने की तैयारी में जुट गई है। बताया जा रहा है कि सरकार की तरफ से दो रुपए प्रति यूनिट बिजली की दरें बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इससे करीब २.८५ करोड़ ग्रामीणों का बिजली बिल डेढ़ गुना हो जाएगा। पावर कॉरपोरेशन के निदेशक मंडल ने इस संबंध में प्रस्ताव पारित कर दिया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में लागू होंगी शहरी दर
यूपीपीसीएल चेयरमैन डॉ. आशीष कुमार गोयल ने कहा कि शहरी सीमा से लगे वे ग्रामीण क्षेत्र, जिसे शासन ने उच्चीकृत कर शहरी सीमा में लेने का पैâसला लिया है, वहां के विद्युत फीडरों का ग्रामीण स्टेटस समाप्त कर शहरी फीडर घोषित करने का आदेश हुआ है। इनसे शहरी दर से बिजली बिल की वसूली की जाएगी। पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन के इस पैâसले में वे सभी क्षेत्र आएंगे, जिन्हें हाल के वर्षों में शासन ने नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत की सीमा में शामिल किया है।
किसान हुए नाराज
सरकार के इस निर्णय को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों ने नराजगी जताई है। उनका कहना है कि एक तो इस भीषण गर्मी में पहले से ही लोगों की हालत खराब है, ऊपर से बिजली महंगी होने से लोग तो मर ही जाएंगे। बिजली कटौती, लोड शेडिंग से खेतों को पानी नहीं मिल पा रहा है, फसल सूख रही है। इसका उपाय करने के बदले सरकार किसानों पर और भी बोझा डाल रही है। क्या वह ग्रामीणों से चुनाव में मिली हार का बदला ले रही है?
उपभोक्ता परिषद ने जताई आपत्ति
पावर कॉरपोरेशन की ओर से ग्रामीण फीडरों को शहरी फीडर में बदलने का प्रस्ताव पारित होते ही इसका विरोध शुरू हो गया है। उपभोक्ता परिषद ने पूरे मामले में नियामक आयोग में अवमानना याचिका दाखिल करने की तैयारी शुरू कर दी है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि देश में विद्युत उपभोक्ता अधिकार कानून २०२० लागू हो गया है, जिसकी धारा १० में सभी को २४ घंटे विद्युत आपूर्ति का प्रावधान है। फिर उत्तर प्रदेश में शहरी आपूर्ति और ग्रामीण आपूर्ति के आधार पर दर बढ़ाना नियम संगत नहीं है।