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मुंबई में सरका भाजपा का वोट बैंक! हिंदीभाषी ओबीसी समाज ने मोड़ा मुंह

सामना संवाददाता / मुंबई
लोकसभा चुनाव में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी इसी तरह विधानसभा चुनाव में भी झटका लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है। महाराष्ट्र और मुंबई में देखने को मिल रहा है कि ओबीसी समाज भाजपा से कन्नी काटने लगा है। भाजपा से अब इस समाज का मोहभंग होता हुआ नजर आ रहा है। यूपी में ओबीसी समाज ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को झटका दिया है और अब मुंबई में भी खासकर हिंदीभाषी ओबीसी समाज ने झटका देने की तैयारी दर्शाई है। मुंबई भाजपा में अंदरूनी तौर पर ओबीसी समाज को समेटने का जोरदार प्रयास शुरू है, लेकिन पिछले एक दशक से मुंबई भाजपा में ओबीसी समाज का सिर्फ इस्तेमाल किए जाने की साजिश को लोग समझ चुके हैं। इसीलिए भाजपा के ओबीसी समाज के नेता जहां साइलेंट हो गए हैं, वहीं मुंबई के पूर्व सचिव राम यादव जैसे कुछ नेताओं ने तो सीधे भाजपा को ही और अलविदा कह दिया है। भाजपा को समर्थन करने वाले मुंबई के पूर्व प्रवक्ता गंगाराम विश्वकर्मा सहित कुछ लोग भाजपा से अलग होकर ओबीसी समाज को संगठित करने के लिए निकल पड़े हैं। हिंदी भाषी समता संघ बनाकर ओबीसी समाज को एकजुट कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा को अब डर है की अगले विधानसभा चुनाव में भी हिंदीभाषी ओबीसी समाज खिसक जाएगा। ओबीसी वोट बैंक खिसकता देख भाजपा ने मुंबई में ओबीसी समाज की बैठक आज बुलाई है।
भाजपा के एक वरिष्ठ ओबीसी नेता के अनुसार मुंबई में ओबीसी का ही नहीं, बल्कि पूरे हिंदीभाषी समाज का ही सिर्फ इस्तेमाल किया गया है। भाजपा में जब बैठक होती है तो मंच पर ओबीसी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग ही नहीं नजर आते। कई वरिष्ठ नेताओं को सामने पंक्ति में बैठाया जाता है। राज्य में पिछले १० वर्षों में दो बार भाजपा की सरकार आई, लेकिन एक भी ओबीसी समाज को भाजपा ने कोई महत्वपूर्ण पद नहीं दिया है। यह तो छोड़िए, पार्टी में महासचिव, सचिव और जिलाध्यक्ष पद के लिए भी ओबीसी समाज को महत्व नहीं मिला है।

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