• ब्रह्मदत्त द्विवेदी, कृष्णानंद राय की हत्या का आरोपी था संजीव उर्फ जीवा
• १८ महीने की बच्ची समेत ३ लोग हुए घायल
सामना संवाददाता / लखनऊ
पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा के राज में पूरे देश की कानून-व्यवस्था तहस-नहस होती जा रही है। रेप और हत्या की सनसनीखेज घटनाएं बेतहाशा बढ़ रही हैं। सड़कों पर और घरों में लोग अब तक वारदात का शिकार हो ही रहे थे, अब अदालतों में भी असुरक्षित हो गए हैं। पुलिस हिरासत और कोर्ट परिसर में भी अपराधी हत्या जैसी सनसनीखेज वारदातों को अंजाम देने से बाज नहीं आ रहे हैं। पुलिस हिरासत में यूपी के बाहुबली अतीक और अशरफ की हत्या को लोग भूल भी नहीं पाए हैं, इसी बीच कल लखनऊ के वैâसरबाग कोर्ट परिसर में मुख्तार अंसारी व मुन्ना बजरंगी के करीबी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। वकील के वेश में आए हमलावरों ने जीवा पर अंधाधुंध गोलियां चलार्इं। इस गोलीबारी में जीवा को चार गोलियां लगा। इस हमले में एक बच्ची सहित तीन और लोगों के घायल होने की जानकारी सामने आई है।
बता दें कि लखनऊ के कैसरबाग स्थित कोर्ट में कल दोपहर में पुलिस की हिरासत में पेशी पर आए संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा नामक आरोपी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। वकील की ड्रेस में आए हमलावर ने दोपहर ३.५० बजे कोर्ट में ९ एमएम की पिस्टल से फायरिंग की।
हमले में जीवा की मौके पर मौत हो गई जबकि एक बच्ची और दो पुलिसकर्मियों को गोली लगी हैं। हालांकि, मौके से भाग रहे जौनपुर निवासी विजय यादव नामक हमलावर को वकीलों ने पकड़ लिया। उसकी पिटाई की। पुलिस ने किसी तरह उसे वकीलों से छुड़ाया।
मुख्तार का करीबी था जीवा
जीवा मुख्तार अंसारी का करीबी था। वह लखनऊ जेल में बंद था। हाल ही में प्रशासन ने उसकी संपत्ति भी कुर्क की थी। जीवा मुजफ्फरनगर का रहने वाला था। शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाने में कंपाउंडर की नौकरी करता था। बाद में उसी दवाखाने के मालिक को ही अगवा कर लिया था। इस घटना के बाद जीवा ने ९० के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती में दो करोड़ रुपए की मांग की। इसके बाद जीवा हरिद्वार के नाजिम गैंग से जुड़ा, फिर सतेंद्र बरनाला के साथ भी जुड़ा। वह खुद अपना भी एक गैंग बनाना चाहता था। जीवा का नाम १० फरवरी, १९९७ को हुई भाजपा के कद्दावर नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में सामने आया था। इस केस में जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसके कुछ दिन बाद जीवा, मुन्ना बजरंगी गैंग में शामिल हो गया। इसी समय उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ। कहते हैं कि मुख्तार को अत्याधुनिक हथियारों का शौक था, तो जीवा के पास हथियारों को जुटाने का तिकड़मी नेटवर्क था। इसी कारण उसे अंसारी का सपोर्ट था। इसके बाद जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, जीवा पर २२ से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। इनमें से १७ मामलों में वह बरी हो चुका था, जबकि उसकी गैंग में ३५ से ज्यादा सदस्य हैं।
दिल्ली में भी कलंकित हुआ काला कोट
गौरतलब हो कि वकील के वेश में आए हमलावरों द्वारा काले कोट को कलंकित करने का ये कोई पहला मामला नहीं है। दिल्ली की अदालतों में इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं घट चुकी हैं। २४ सितंबर २०२१ को उमंग यादव, विनय यादव, आशीष कुमार और दो गैंगस्टरों- सुनील बालियान उर्फ टिल्लू और नवीन डबास उर्फ बल्ली नामक गैगस्टरों ने प्रतिद्वंद्वी गैंगस्टर जितेंद्र गोगी को भरी अदालत में गोलियों से भून दिया था। इसी तरह २१ अप्रैल, २०२३ को एक सस्पेंडेड वकील ने साकेत कोर्ट में सुनवाई के लिए आई अपनी परिचित महिला की गोली मारकर हत्या का प्रयास किया था।