रु. १५ प्रति किलो खरीदकर रु. ३० प्रति किलो अन्य राज्यों में भी कर रहे सप्लाई
केंद्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की मोदी सरकार गरीबों के का पेट भरने के लिए मुप्त राशन देने की बात करते हैं। वैसे हकीकत तो ये है कि मुफ्त मिलने वाले राशन से गरीबों का नहीं, बल्कि राशन माफियाओं का पेट भर रहा है। राज्य की ताजनगरी यानी आगरा में मुफ्त राशन की कालाबाजारी जोरों पर चल रही है। चावल की कालाबाजारी का नेटवर्क आगरा से लेकर कई राज्यों तक फैला है। इसकी रोकथाम में पुलिस और प्रशासन फेल है।
मिली जानकारी के अनुसार, जिले में ३० लाख कार्ड धारक हैं। प्रत्येक यूनिट पर तीन किलो चावल मिलता है। आरोप है कि जिले में हर माह करीब ९० हजार क्विंटल चावल बंटता है, जिसे राशन माफिया गरीबों से १० से १५ रुपए किलो में खरीद रहे हैं। इसके लिए १०० से अधिक हॉकर तैनात हैं, जो घर-घर जाकर सस्ते दाम पर चावल इकठ्ठा करते हैं।
इसके बाद उसे २५ से ३० रुपए किलो में आगरा से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व अन्य राज्यों में बेचा जा रहा है। हर माह करीब ४० से ५० हजार क्विंटल चावल का काला कारोबार हो रहा है। इस खेल में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप हैं। इसके कारण राशन माफियाओं का नेटवर्क नहीं टूट पा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, फतेहाबाद, खेरागढ़, किरावली, एत्मादपुर और शहर में राशन माफिया का क्षेत्रवार नेटवर्क फैला हुआ है। १० से १२ सरगना हैं। अवैध भंडारण के लिए गोदाम बना रखे हैं। १०० से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज हैं, फिर भी नेटवर्क नहीं टूट पा रहा है। जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी संजीव सिंह का कहना है कि राशन की कालाबाजारी करने वालों के विरुद्ध ५० से अधिक मुकदमे दर्ज कराए हैं। पुलिस गिरफ्तार कर ऐसे लोगों को जेल भेजे, तभी नेटवर्क टूट पाएगा।