• बोरिंग सेक्स लाइफ में लाता है उत्तेजना
• दोनों पार्टनर का राजी होना आवश्यक
सेक्स के कई तरीकों के बारे में आपने सुना होगा, लेकिन ‘किंकी सेक्स’ के बारे में शायद ही आप जानते होंगे। किंकी सेक्स का मतलब है अपनी बोरिंग सेक्स लाइफ को रोमांचक और रंगीन बनाना। यानी सामान्य सेक्स से कुछ अलग और ऐसा ट्राई करना जो आपने पहले कभी न किया हो। आप एक तरह से इसे नया प्रयोग भी कह सकते हैं। किंकी सेक्स आजकल बेहद लोकप्रिय हो रहा है। वैसे भी अगर आपके सेक्स लाइफ में कुछ नया या उत्तेजना पूर्ण न हो तो यह बोरिंग हो जाती है और इसका असर रिश्ते पर भी पड़ता है। हां, इस तरह के सेक्स के लिए दोनों पार्टनर का राजी होना आवश्यक है। किंकी सेक्स से अपने पैंâटेसीज को पूरा किया जाता है।
इसी अप्रैल महीने की एक उमस भरी सुबह उत्तरी गोवा के एक होटल के सामान्य मीटिंग हॉल में कम उम्र के कई युवा जमा हैं। उनकी वेशभूषा अजीबोगरीब है। उनके हाथ और टखने के कफ, बॉडी हार्नेस बेल्ट, कॉलर और पट्टा एक पानी निकालने वाली मशीन के किनारों से बाहर झांकते हैं। उनके शरीर से बंधे लोगों की तस्वीरें बताती हैं कि यह हिंदुस्थान के पहले ‘किंक कॉन’ का स्थान है। ‘किंक कॉन’ एक ऐसे लोगों का समूह है जो यौन संबंधों में कुछ अलग करना चाहते हैं। इन्हें आप यौन साहसी लोगों का एक जमावड़ा कह सकते हैं। ये खुद को ‘बीडीएसएम’ (बंधन-अनुशासन, प्रभुत्व-अभ्यस्तता और परपीड़न-स्वपीड़नवाद के लिए एक अतिव्यापी संक्षिप्त नाम) बताते हैं।
गोवा के होटल में जुड़े ये लोग एक-दूसरे से जुड़ने के लिए देश के ८ अलग-अलग राज्यों से जश्न मनाने और कामुकता और भूमिगत किंक समुदाय से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के लिए जमा हुए हैं। इस तीन दिवसीय उत्सव में ८० किंकस्टर्स ने भाग लिया। इसे ‘किंकी कलेक्टिव’ संस्था ने आयोजित किया था। यह बीडीएसएम लोगों का एक करीबी समुदाय है। इसकी स्थापना २०११ में की गई थी। यह संस्था सामान्य लोगों (जिन्हें ये ‘वैनिला’ कहते हैं) को इस सहमतिपूर्ण, कामुक मिलन स्थल के बारे में शिक्षित करती है।
अगले तीन दिन के जश्न में बीडीएसएम और वैनिला का मिलन या टकराव जो भी कह लें होता है। वहां हवा में चाबुक लहराए जाते हैं, कुछ के हाथ-पांवों में जटिल गांठें बांधी जाती हैं। कुछ एक बूट तले रौंद जाते हैं, ऐसे दृश्य सामान्य आंखों के लिए काफी भयावह होते हैं। हालांकि, तमाम दर्द, खुशी और सजा के बावजूद, इन ‘किंकों’ के बीच अंतरंगता या गहरा बंधन था।
इस जश्न को देखकर एक बात स्पष्ट हो गई कि हिंदुस्थान में एक संपन्न बीडीएसएम समुदाय मौजूद है। असल में दशकों से देश में ‘बीडीएसएम’ और ‘किंक’ के आसपास एक पूरा समुदाय बना हुआ है। यह समुदाय एक वैकल्पिक यौन चाहत के रूप में उसी तरह फला-फूला है, जिस तरह से समलैंगिक समुदाय। बीडीएसएम लोगों के लिए एक लोकप्रिय सोशल नेटवर्विंâग साइट मौजूद है, जिसमें ९९,६०० से अधिक किंकस्टर्स सूचीबद्ध हैं। ये आपस में अपने यौन अनुभव को साझा करते हैं। ये लोग जब किसी रेस्तरां में चर्चा के लिए जुटते हैं तो उसे ‘मंच’ (ड्रिंक के साथ लिया जानेवाला चखना) का नाम देते हैं। ये रेस्तरां या कॉफी शॉप में चर्चा करते हैं। ऐसी ही एक चर्चा में ५१ वर्षीय जीत बताते हैं कि जब मैं १६ साल का था तो फिल्म ‘क्रांति’ देखी थी। जब मनोज कुमार एक नाव पर बंधे हुए थे और हेमा मालिनी फर्श पर बंधी घिसट सी रही थीं। पार्श्व में एक गीत बज रहा था। मुझे उनकी दुर्दशा देखकर काफी बुरा और अलग सा महसूस हुआ। यह इंटरनेट के पूर्व का युग था और मैं अपनी इच्छाओं के कारण बहुत अलग-थलग और अकेला महसूस करता था।
२००४ में बांद्रा के एक कैफे में एक ‘मंच’ देखने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि उनके जैसे और भी हैं। जीत ने उसी साल कोलकाता में ‘मंचों’ का आयोजन शुरू किया। इसके बाद दिल्ली और बंगलुरु के साथ ही जल्द ही ‘मंच’ अलग-अलग शहरों में ‘किंकों’ के लिए एक प्रमुख स्थान बन गया, जहां अजीब लोगों ने अपनी बिरादरी पाई, दोस्त बनाए और फिर उनका एक नेटवर्क बन गया। गुड़गांव के ३० वर्षीय नील कहते हैं, ‘यह आमतौर पर महीने में एक बार और बहुत ही सार्वजनिक जगह पर होता है। हम चाहते हैं कि लोग सुरक्षित महसूस करें। किंक को कामुक समुदाय भी कहा जा सकता है। यह वैकल्पिक यौन अभिव्यक्तियों को व्यक्त करनेवाला एक शब्द है। यह अपने में वर्जित क्षेत्रों मसलन पावर प्ले और बंधन, पैर कामोत्तेजना, रौंदना, सुई भेदना, रोल प्ले, एज प्ले, वैक्स प्ले, ब्रीद प्ले जैसे कई एडवेंचर सेक्स का संगम है।
नया नहीं है ‘किंकी’
असल में किंकी सेक्स कोई नई चीज नहीं है और यह बरसों बरस से चला आ रहा है। हां, तब इसका नाम कुछ और रहा होगा। पहले ऐसे लोग अपने-अपने तरीके से खुद को संतुष्ट करते थे, पर अब बाकायदा इसकी कम्युनिटी बन गई है और इस विंâेक कम्युनिटी को अपने यौनेच्छा प्रदर्शन से परहेज नहीं रहा। अब वे होटलों और रेस्तरां में खुल्लम-खुल्ला मिलते हैं, इस पर चर्चा करते हैं और अपने सेक्सुअल फेटिज्म की पैंâटेंसी को साकार करते हैं।