फिर भी नहीं मिल रहा नि:शुल्क खून
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
थैलेसीमिया, हीमोफिलिया, सिकल सेल जैसे तमाम गंभीर रक्त विकारों के रोगियों को मुफ्त में खून उपलब्ध कराने का आदेश ब्लड बैंकों को देते हुए तत्कालीन महाविकास आघाड़ी सरकार ने बाकायदा अधिसूचना जारी किया था। इससे इन बीमारियों से जूझ रहे मरीजों ने राहत की सांस ली थी, लेकिन मौजूदा महायुति सरकार के राज में स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के चलते मुंबई समेत आस-पास के शहरों में ब्लड बैंक बेलगाम हो गए हैं। स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल ने पाया है कि डे केयर सेंटरों से जुड़े ब्लड बैंक मुफ्त में खून नहीं दे रहे हैं। ऐसी स्थिति में रोगियों और उनके परिजनों को खून के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। इसके बावजूद उन्हें मुफ्त में खून नहीं मिल रहा है।
४४ ब्लड बैंकों से ७१५ रक्त यूनिट
सूचना के अधिकार के तहत आरटीआई एक्टिविस्ट चेतन कोठरी द्वारा मांगी गई जानकारी में रक्त आधान परिषद ने बताया है कि मुंबई, ठाणे, नई मुंबई, उल्हासनगर और कल्याण में कुल १६ डे केयर सेंटर संचालित हैं। यहां इलाज करा रहे मरीजों को खून की आपूर्ति ४४ ब्लड बैंक कर रहे हैं। ये बैंक हर महीने ७१५ ब्लड यूनिट खून दे रहे हैं। इनमें से हर महीने १० यूनिट खून देने वाले ब्लड बैंकों की संख्या २० है।
एसबीटीसी ने बंद कर ली हैं आंखें
आरटीआई एक्टिविस्ट चेतन कोठरी ने कहा कि थैलेसीमिया समेत अन्य विकारों के रोगी नियमानुसार मुफ्त रक्त के हकदार हैं। लेकिन ब्लड बैंक मुफ्त में रक्त नहीं दे रहे हैं, जिसे एसबीटीसी ने भी अनुभव किया। इसलिए उन्होंने ब्लड बैंकों को नजदीकी थैलेसीमिया इकाइयों से जोड़ दिया। दूसरी तरफ मुंबई के १०-१५ ब्लड बैंकों के नाम इसमें शामिल नहीं किए गए हैं, जो एसबीटीसी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहा है। वहीं ब्लड बैंक आज भी मरीजों को खून देने से इनकार कर रहे हैं। ऐसे ब्लड बैंकों पर कार्रवाई करने की बजाय एसबीटीसी अपनी आंखें बंद रखी हैं।
मुंबई को आंख दिखा रहा थैलेसीमिया
मुंबई को जहां थैलीसीमिया आंख दिखा रही है, तो वहीं सिकलसेल भी महाराष्ट्र को डराने लगा है। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में थैलेसीमिया के करीब १० हजार मरीजों का इलाज हो रहा है, जिसमें आधे मरीज अकेले मुंबई में ही हैं। इसी तरह सिकलसेल का विदर्भ गढ़ बना हुआ है। महाराष्ट्र में इस समय कुल एक लाख में से ५० हजार मरीज अकेले विदर्भ में पंजीकृत किए गए हैं। राज्य में सिकलसेल के करीब ५० फीसदी मरीज पूर्वी विदर्भ चंद्रपुर, गढ़चिरौली, नागपुर, भंडारा और गोंदिया जिलों में हैं। यहां मिलने वाले मरीजों की संख्या इसलिए ज्यादा है, क्योंकि यहां ट्राइबल और एसटी आबादी अधिक है, जो अल्प आय वाले श्रेणी में आते हैं।