मुख्यपृष्ठनए समाचारमोबाइल की नीली रोशनी से होता है ... दिमाग पर बुरा असर!

मोबाइल की नीली रोशनी से होता है … दिमाग पर बुरा असर!

-नींद का बदल जाता है पैटर्न 
-तनाव, चिंता व अवसाद सहित कई समस्याएं लेती हैं जन्म
सामना संवाददाता / मुंबई 
लगातार स्क्रीन देखने से आंखों पर तनाव पड़ता है और ड्राई आई सिंड्रोम और आंखों में जलन का खतरा बढ़ जाता है। सोने से पहले मोबाइल का इस्तेमाल करने से नीली रोशनी के कारण दिमाग पर असर पड़ता है, जिससे नींद का समय बदल जाता है। इससे नींद आना मुश्किल हो जाता है। मोबाइल और अन्य डिजिटल उपकरणों के अत्यधिक उपयोग से लोगों में शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है, जिससे वजन बढ़ना और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं। सोशल मीडिया और अन्य ऐप्स के अत्यधिक उपयोग से तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए उपयोगकर्ताओं को मोबाइल फोन का उपयोग करते समय सावधान रहना चाहिए।विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोधकर्ताओं ने बताया कि २८ वर्षों के शोध की समीक्षा से यह निष्कर्ष निकला है कि मोबाइल फोन का मस्तिष्क वैंâसर से कोई संबंध नहीं है। लेकिन इससे निकलने वाला रेडिएशन शरीर के लिए हानिकारक है। यह खोज मोबाइल फोन के उपयोग के बारे में लंबे समय से चले आ रहे संदेह को समाप्त कर देती है। मोबाइल फोन किस तरह से इंसानों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं, इसपर लंबे समय से चर्चा होती रही है।
५,००० से अधिक अध्ययनों की जांच
अध्ययन ऑस्ट्रेलियन रेडिएशन प्रोटेक्शन और परमाणु सुरक्षा एजेंसी के नेतृत्व में किया गया है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए मोबाइल फोन और इसके दुष्प्रभावों को लेकर किए गए  ५,००० से अधिक अध्ययनों की जांच की। अंतिम विश्लेषण में १९९४ और २०२२ के बीच मनुष्यों पर होनेवाले मोबाइल के दुष्प्रभावों के ६३ अवलोकन संबंधी अध्ययनों को शामिल किया गया।

होती है अन्य कई समस्याएं
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि लंबे समय तक मोबाइल फोन का सही इस्तेमाल करना चाहिए। मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से आंखों में तनाव और अनिद्रा जैसी अन्य समस्याएं हो सकती हैं। इस समीक्षा के जारी होने के बाद जनता में मोबाइल उपयोग के प्रति सकारात्मकता बढ़ी है और कई स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का समाधान हुआ है।

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