राजेश विक्रांत
जिंदगी उन कागजों की हो गई कामयाब/प्यार में जो काम आए चिट्ठियों के वास्ते। सबने अनगिन मंत्र लिखे/मैंने तेरा नाम लिखा। आग पी कर भी रौशनी देना/मां के जैसा है ये दीया कुछ-कुछ। रह के देखो थोड़ा-सा तो मां के पास/कौन कहता है खुदा दिखता नहीं। शायरी है सरमाया खुशनसीब लोगों का/बांस की हर इक टहनी बांसुरी नहीं होती। ये है हस्तीमल हस्ती की लेखनी का कमाल। इन्हीं हस्तीमल हस्ती पर मुंबई के नामचीन शायर, युगीन काव्या पत्रिका के जरिए अनवरत २० सालों तक राष्ट्रीय स्तर पर श्रेष्ठ कविता को प्रोत्साहित करनेवाले, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी व फिल्म सेंसर बोर्ड के पूर्व सदस्य हस्ती जी पर मुंबई विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व प्रख्यात कवि डॉ. हूबनाथ पांडेय ने एक पुस्तक संपादित की है- ‘गजलकार हस्तीमल हस्ती’। इसमें देश के जाने-माने कवियों, साहित्यकारों ने हस्ती जी के सृजन पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। पुस्तक में परंपरा और आधुनिकता के सेतु- हरे राम समीप, शायरी और सच का रुतबा- दामोदर खडसे, गजलों में शाइस्तगी- ज्ञान प्रकाश विवेक, यथार्थ के सुनहरे आवरण में लिपटी गजलें- अनिरुद्ध सिन्हा, एक असामान्य शायर- हृदयेश मयंक, हिंदी गजल में भी एक हस्ती है- अनंत भटनागर, चोट खाकर भी मुस्कुराता हूं- द्विजेंद्र ‘द्विज’, एक प्रभावंत गीति-हस्ताक्षर- शिव ओम अंबर, सहज अभिव्यक्तियों के गजलकार- कमलेश भट्ट कमल, रास्ता किस जगह नहीं होता- विज्ञान व्रत, हिंदी गजल के सबसे मजबूत स्तंभ- अशोक रावत, अब मसीहा रह गए हैं सूलियों के वास्ते- डॉ. मधुकर खराटे, अपनी ही धुन का अलमस्त शायर- के.पी. अनमोल, सारी चमक हमारे पसीने की है जनाब!- डॉ. दयानंद तिवारी, चिराग दिल का- हरि मृदुल, हम शबरी के बेर सरीखे- अब्दुल अहद साज, तुझको तो मेरे ऐब छुपाने नहीं आते- प्रदीप कांत, तजुर्बाती इल्म की शायरी- राकेश शर्मा, साजिशों के विरुद्ध- डॉ. सतीश पांडेय, सादगी ही जिनकी खासियत है- विनय मिश्र, एक शख्सियत- विजेंद्र शर्मा, विरसे में हमको कोई भी जेवर नहीं मिला- वैâलाश सेंगर, प्यार का पहला खत- जियाउल हसन कादरी, सबसे अच्छी प्यार की बातें- संध्या यादव, समकाल से जिरह करती गजलें- भागीनाथ वाकले, तुम हवाएं लेके आओ- भावना, दरमियां कोई आईना रखना- डॉ. मोहसिन खान, शायरी का सरमाया- अशोक अंजुम, गजल यही तो है- सोनरूपा विशाल तथा मेरी फितरत में सच रहा शामिल- डॉ. हूबनाथ पांडेय, इन लेखों के साथ राधारमण त्रिपाठी व निर्मला डोसी द्वारा लिए दो साक्षात्कार को भी समाहित किया गया है।
हस्ती जी के बारे में संपादक ने लिखा है कि, ‘शेक्सपियर कहता था कि कुछ लोग महान पैदा होते हैं, कुछ अपनी मेहनत से महानता हासिल करते हैं तो कुछ लोग महानता का आवरण ओढ़कर महान कहलाते हैं। उसी तरह कुछ लोग पैदाइशी कवि होते हैं, तो कुछ लोग अथक परिश्रम और अभ्यास से यह हुनर हासिल करते हैं तो कुछ लोग काव्यत्व का लबादा ओढ़कर कवि बन जाते हैं। हस्ती जी पैदाइशी शायर नहीं हैं। हालांकि, पैदाइशी भावुकता उनकी अनमोल पूंजी थी। स्कूल के दिनों में तांगेवाले के घोड़े की मौत ने उनके भावुक हृदय को इस कदर झिंझोड़ा कि वह आवेग एक कहानी की शक्ल में अभिव्यक्त हुआ था। इससे इतना तो पता चलता है कि उनका भावुक हृदय काव्य सृजन के लिए आरंभ से ही बेहद उपजाऊ रहा। हस्तीजी की ही भांति कई भावुक हृदय रहे होंगे, किंतु हस्ती जी ने न सिर्फ अपने भावप्रवण हृदय के सामर्थ्य को पहचाना, बल्कि निरंतर अभ्यास, श्रम, प्रशिक्षण तथा मशक्कत से उसे एक सार्थक दिशा प्रदान की और आज गजल के क्षेत्र में एक राष्ट्रीय शख्सियत का रुतबा हासिल किया। लगभग चालीस वर्षों से अनवरत वे एक ही विधा में गहरे उतरते गए।’ ‘गजलकार हस्तीमल हस्ती’ को विद्या प्रकाशन, कानपुर ने प्रकाशित किया है। १९८ पृष्ठों का हार्डबाउंड संस्करण ६०० रुपए का है। मुंबई के एक संत साहित्यकार हस्ती जी को जो लोग जानना समझना चाहते हैं, यह उनके लिए एक उपयोगी पुस्तक है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक मामलों के जानकार हैं।)