मुख्यपृष्ठस्तंभपुस्तक समीक्षा : मानवीयता का दर्पण `एहसास दीप'

पुस्तक समीक्षा : मानवीयता का दर्पण `एहसास दीप’

राजेश विक्रांत

उत्तर प्रदेश के सुविख्यात कवि व मंच संचालक तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु का काव्य संग्रह `एहसास दीप’ मानवीयता का दर्पण है। यानी इसकी रचनाएं मानवता के विचारों का पोषण करती नजर आती हैं। इस `एहसास दीप’ को कवि जिज्ञासु ने जिंदगी के विविध आयामों को रोशन करने के लिए सृजित किया है। हर पक्ष पर कवि ने लेखनी चलाई है। जीवन, समाज व भावनाओं के हर कोने को जिज्ञासु की कलम ने छुआ है। इसी पुस्तक से शेर के कुछ उदाहरण देखिए-कहां मिलता है मनमीत किसी को आसानी से, मनमीत की तलाश में बहुतों की उम्र गुजर गई। आए हो तो एक रात ठहर क्यों नहीं जाते, मधुमास की चांदनी का रंग देखो तो सही। पूंजीपतियों की कोई कमी नहीं शहर में तेरे लेकिन, भाग्यविधाता कौन है किसका यह बतलाना आसान नहीं। शिकायत मत करो किसी की किसी से तुम, वक्त आने पर आदमी खुद ही समझ जाएगा।
इस तरह की पंक्तियों से जिज्ञासु कृत `एहसास दीप’ पाठकों के मानवीय विचारों को रोशन करते हुए उनके दिलों में उतर जाता है और साथ में पाठकों को सत्कर्म की अच्छा सोचने की प्रेरणा भी देता है। इसकी एक-एक पंक्ति काम की है। आम जीवन से जुड़ी हुई है। दरअसल, जिज्ञासु इस कृति में हर जगह जिंदगी से जुड़े पहलुओं, भावनाओं, अनुभूतियों की बात करते हैं। इन पर अपनी बेबाक टिप्पणी करते हैं। अपने विचारों के जरिए उसे पेश करते हैं। इसमें वे जिंदगी के उतार-चढ़ाव, विस्तार, संकुचन, कर्तव्य, देश प्रेम व नैतिकता, गरीबी, अमीरी, लोकतंत्र, नेता, रीति-रिवाज, सौंदर्यबोध, शराफत, शर्म, हुस्न, प्रतिशोध, चापलूसी, कर्म, प्यार, मुस्कुराहट, प्रेम, नफरत, लोकव्यवहार, सियासत, साहित्य, संगीत, बेरोजगारी, कुदरत, ईमानदारी, बेचैनी आदि की खुलकर बात करते हैं यानी हम क्या करें, क्या न करें, समाज में हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए, देश के प्रति हमारी वैâसी भावना होनी चाहिए, लोगों से किस तरह रिश्ते निभाने चाहिए आदि-आदि।
जिज्ञासु जी, चूंकि मंच संचालक हैं और वे आम से भिन्न तेवर के कवि हैं। वैचारिक रूप से वे एकदम प्रौढ़ कवि हैं। इसलिए उनके पास सुंदर व समयानुकूल शब्दों की भरमार है। इसकी एक-एक पंक्ति काम की है। कवि इस `एहसास दीप’ को उम्र के साथ प्राप्त अनुभवों का वैचारिक शब्द कुंज कहता है। खूबसूरत कवर युक्त एहसास दीप को रवीना प्रकाशन, नई दिल्ली ने प्रकाशित किया है। १०८ पृष्ठ की इस पेपरबैक कृति का मूल्य काफी ज्यादा है ३५० रुपए। इसे कम होना चाहिए। समाजशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएट तथा पेशे से परिषदीय जूनियर शिक्षक जिज्ञासु जी खूब लिखते हैं। उनकी `कृतियां एक आईना जिज्ञासु की कलम से’, `मन का आंगन’, `जज्बात जिज्ञासु’ के काफी लोकप्रिय रही हैं। जिज्ञासु सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहते हैं। कवि राजेंद्र त्रिपाठी राहगीर की भूमिका अच्छी बन पड़ी है।
कविताओं के पाठक इसे जरूर पसंद करेंगे। कवि को इसके लिए ढेर सारी शुभकामनाएं।

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