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हिंदुस्थान में दिमाग हो रहा विकलांग …ऑटिज्म के शिकार हैं १.८ करोड़ लोग

सामना संवाददाता / मुंबई
दिमाग का सामान्य से अधिक तेजी से विकसित होना इंसान के लिए अच्छा नहीं, बल्कि खतरे का संकेत है। अध्ययन के मुताबिक ऐसा होने पर मनुष्यों में बौद्धिक विकलांगता या ऑटिज्म विकसित होने की आशंका होती है। हालांकि, मौजूदा समय हिंदुस्थान में १.८ करोड़ लोग ऑटिज्म के शिकार हैं और उनका दिमाग विकलांग हो रहा है। इनमें १.५ फीसदी बच्चों का भी समावेश है।
अध्ययन हुआ प्रकाशित
उल्लेखनीय है कि बेल्जियम के फ्लेमिश इंस्टीट्यूट फॉर बायोटेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं का यह अध्ययन न्यूरॉन पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। मुख्य शोधकर्ता बेन वर्मार्वेâ के मुताबिक, अध्ययन के निष्कर्ष बौद्धिक विकलांगता और ऑटिज्म के इलाज को समझने और विकसित करने में अहम योगदान देंगे। मस्तिष्क की कोशिकाओं यानी न्यूरॉन्स को पूरी तरह से परिपक्व होने में वर्षों लगते हैं। इसको नियोटेनी कहा जाता है। यह मनुष्यों के लिए विशिष्ट उन्नत संज्ञानात्मक यानी सोचने-समझने की प्रक्रियाओं को विकसित करने में अहम मानी जाती है और जीन एसवाईएनजीएपी-१ इन न्यूरॉन्स को लंबे वक्त तक विकसित होने में मदद करता है। यह दिमाग के सही काम करने के लिए अहम है।

चूहे के दिमाग ने खोला राज
शोधकर्ताओं ने चूहों के मस्तिष्क में उत्परिवर्तित एसवाईएनजीएपी-१ जीन वाले मानव न्यूरॉन्स को प्रत्यारोपित किया ताकि यह देखा जा सके कि वे वैâसे विकसित होते हैं। उन्होंने देखा कि इससे न्यूरॉन्स सामान्य से बहुत तेजी से बढ़ते और अन्य न्यूरॉन्स के साथ जुड़ते हैं, हालांकि वे दिखने में सामान्य लगते थे। तेज विकास से ये न्यूरॉन्स अपेक्षित समय से पहले ही दृश्य जानकारी का जवाब देने लगे।

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