मुख्यपृष्ठस्तंभब्रजभाषा व्यंग्य : कालिन्दी कौ कोपावतार

ब्रजभाषा व्यंग्य : कालिन्दी कौ कोपावतार

संतोष मधुसूदन चतुर्वेदी

एक समै हतो जब मैं यमुनोत्री ते इतराती, इठलाती बलखाती, पर्वत, मैदान’न मै विचरन करती हती। पैलें तो कछु नेत’न नें मेरौ अपहरन कर लयो औ मोकूं छुपाय दई। बाऊ ते इनकौ मन नाय पतियायौ तौ जगै जगै बांध बनाइवैंâ मोय इत्ती जकड़ दई कि मैं दो हजार इक्कीस आमते आमते एक नालौ बनकें रह गई हती। बहुत समै पैलें मेरौ जल करसा’न में भरकें राजस्थान मै उदयपुर बारै श्रीनाथ जी के मंदिर में हर दिन जायौ करतौ हतो बाते ठाकुर जी की सेवा होमती। ब्रज के मंदिरन में हू मेरे जल सौं ठाकुर जी की सेवा-पूजा होमती। कछु समै ते वो हू बंद है गई। कछु नेता औ अधिकारी’न नें मोय केशव (कृष्ण) की पटरानी हैवे के बाद हू कीचड़ जैसी कृशकाय बनाय दई।
दिल्ली ते लैके हर शहर में जां जां ते मैं निकसबे की कोशिश करती, बाई बाई जगै मो पैं कई तरियां के केमिकल, गंदगी, खूब जी भरकें डारी गईं और मोय एक हद ते जादा कुरूप कर दई। मेरी खुद की जगै पै अवैध तरीकन ते आश्रम, घर जी भरकें बनाये हते। मेरे नाम पै खूब लूट मचाई। मोकूं ४५ साल तेऊ जादा वर्ष है गए जा दसा में। इन्नै मो पै इत्तो जुल्म कियो है जा ते मेरी काया हू एकदम सों कारी पर गई। कई तरै की मेरे नाम पै लाखन करोड़न की योजनाएं बनाई गई हतीं बा योजना’न के पैसा’न तें भ्रष्ट नेता औ अधिकारीयन ने मेरौ सरूप अच्छों न करकें बा की बंदरबांट कर लई।
यमुनोत्री ते लैकरकें प्रयागराज संगम तक मेरौ एकई तीरथ मथुरा कौ विश्रान्त घाट हतए। जहाँ पै माथुर ब्राह्मन मेरौ रात-दिन पूजन-यजन करकें अपनों औ परिवार कौ पेट पालै एँ। जा घाट पै हर साल देश-विदेश’न ते करोड़न जातरी भगत आइकें अपनों जीवन धन्य करैं और मोय अपने संग घर लै जायकें मेरौ उच्छव (मनोरथ) करैं। ब्रज के रहवे बारेन नें मेरी जा दसा कौं देखकें दिल्ली तक खूब आंदोलन करे हते। बाकौ कोऊ परिणाम नाय निकरो तौ नेता औ अधिकारीन के झूठ पै मोय भौत क्रोध आयौ। मैनें ब्रज बारेन की करुन पुकार सुनकें समै समै पै विकराल रूप धरौ औ अपनी पुरानी जगैन कौं देखबे कौं निकस परी। ब्रजबारे नै मिलकें मेरौ सत्कार करौ, खुशी मनामते भये मंगल गाए औ कही कि आज मइया अपने पुराने घरन में पधारी हैं। हम सबन पै ऐसें ही किरपा बनाय रखियो। जमुना मईया की जय।

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