नवीन सी. चतुर्वेदी
ब्रजभाषा में सीढ़ी कों सिड्डी कहें और बड़ी साइज की सिड्डी कों सिड्डा। सिड्डि’न कों पलकारी हू कह्यौ जावै है। पलकारी और मनुष्य’न में भौत सारी समानता पाई जामें। बहुधा ऊपर की मंजिल पै जायवे के लिएं जैसें पलकारि’न कौ प्रयोग कियौ जावै, वैसें ही लाइफ में प्रमोशन के लिएं हू काहु न काहु की जरूरत परै ही है। गुरू कों पलकारी बनाय कें चेला ज्ञान के शिखर पै पहुँचते रहे हैं। अब यै अलग बात है कि आजकल कौ जमानों गुरू मार चेला’न कौ है गयौ है। अच्छा जब सों गुरूमार चेला’न कौ जमानों आयौ तब सों कुदरत नें हु ढेला मार कानून बनाय दियौ। अनीति करिवे वारे गुरूमार चेला’न में कुदरत खेंच कें ऐसे ढेला मारै कि ससुरे एक ही वार में धड़ाम है जामें।
पलकारी अनेक प्रकार की होमें जैसें कि अचल, चल और ऑटोमैटिक। बिल्डिंग’न में पत्थर की अचल पलकारि’न के संग लिफ्ट रूपी चल पलकारी हु होमें। आप सरकारी दफ्तर तौ गये ही हौउगे। बिना बकरीद के जहाँ रोज बकरीद मनै वौ सरकारी दफ्तर। सरकारी दफ्तर’न में हु ऐसी अचल और चल पलकारी खूब देखवे कों मिलें। जा अफसर के पीछें-पीछें लग्यौ रहनों परै, मतलब पटायवे सों लै कें साइन करवे के लिएं हाथ हिलवायवे तक की सिगरी मेहनत स्वयं ही करनी परै वा कों अचल पलकारी समझनों, परंतु जो अफसर बटन दबाते ही हरकत में आय जाय मतलब इसारौ समझ जाय वा कों लिफ्ट जैसी चल पलकारी समझनों।
अचल पलकारी के केस में रफ्तार अपुन पै डिपेंड करै, जितनी स्पीड सों पैर बढ़ाए जामंगे समय वितनों कम लगैगौ। चल पलकारी के केस में देख्यौ जावै है कि मॉडल नयौ है या पुरानों? बीस-पच्चीस बरस पुरानों है तौ लिफ्ट ढचुक-ढचुक चलैगी और जो लेटेस्ट मॉडल है तौ बुलेट की माफिक भागैगी। मतलब पुरानों भ्रष्टाचारी सरमाते-सकुचाते भए टेबल के नीचे सों घूस लेयगौ और लेटेस्ट भ्रष्टाचारी खुलेआम आपकी जेब में सों निकार लेयगौ।
संक्षेप में कहें तौ भैया जीव हि जीव अधार की तर्ज पै हर आदमी एक पलकारी के समान है। कछू पलकारी सज्जन होमें तौ कछू दुर्जन। काम की दौनों होमें। जरूरत के अनुसार सब इन कौ उपयोग हु करें हैं। या मारें भैया इन पलकारि’न सों भलौ-बुरौ कहवे की बजाय आऔ मेरी अवाज में अवाज मिलाते भए जोर सों जयकारौ लगाऔ- बोलौ पलकारी मैया की जय।