मुख्यपृष्ठस्तंभराजस्थान का रण : अपनों पर निकला हार का दर्द

राजस्थान का रण : अपनों पर निकला हार का दर्द

गजेंद्र भंडारी

झुंझुनू से बीजेपी प्रत्याशी शुभकरण चौधरी का एक बयान काफी चर्चित हो रहा है, जिसमें वो अपनी हार के लिए जिला कार्यकारिणी के पदाधिकारियों की ओर इशारा कर रहे हैं। दरअसल, जयपुर भाजपा कार्यालय में अपनी हार की वजह बताते हुए चौधरी ने कहा कि हमें तो अपनो ने लूटा, गैरों में कहां दम था, मेरी कश्ती वहां डूबी, जहां पानी कम था। इसके अलावा चौधरी ने एक फिर से चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की है। उन्होंने झुंझुनू सीट से विधानसभा उपचुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। बृजेंद्र सिंह ओला की जीत के बाद झुंझुनू सीट पर उपचुनाव होना है। शुभकरण चौधरी ने लोकसभा चुनाव लड़ा था और झुंझुनू से बीजेपी के प्रत्याशी थे। इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह ओला ने जीत दर्ज की। बृजेंद्र को ५,५३,१६८ वोट मिले, वहीं शुभकरण को ५,३४,९३३ मत मिले, दोनों के बीच हार-जीत का अंतर १८,२३५ वोटों का रहा। इससे पहले शुभकरण चौधरी उदयपुरवाटी से विधायक रह चुके हैं, लेकिन अब लोकसभा चुनाव में मिली मामूली हार के बाद फिर से वह चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे हैं। वहीं उदयपुरवाटी से विधायक रहे राजेंद्र गुढ़ा भी झुंझुनू से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, इसको लेकर उनकी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
अपनी गलती मान गईं मिर्धा!
लोकसभा चुनाव में राजस्थान में भाजपा की सीटें कम होने के कारण के बारे में ज्योति मिर्धा ने कहा कि कुछ भ्रांति फैला दी गई थी कि ४०० सीटें आएंगी तो रिजर्वेशन के ऊपर गाज गिर जाएगी। राजस्थान में भाजपा की सीटें कम होने के कारण को लेकर ज्योति मिर्धा ने कहा कि अगर कहीं कमी हुई है तो उसको सुधारने में बीजेपी सक्षम पार्टी है। हम अच्छे से उसका संज्ञान लेते हैं। अपनी भूल होती है, उसको मान कर सुधार करते हैं। इसके अलावा उन्होंने खींवसर से चुनाव लड़ने के सवाल पर भी जवाब दिया। मिर्धा ने कहा कि अभी ऐसी कोई चर्चा नहीं है, जो पार्टी का निर्देश होगा, उसके हिसाब से काम करेंगे। हम सभी मिलकर बहुत मजबूती से चुनाव लड़ेंगे और पक्की बात है कि खींवसर की सीट इस बार भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में जाएगी। आरएलपी के हनुमान बेनीवाल के सांसद बनने के बाद खींवसर सीट खाली हो गई। बेनीवाल ने नागौर लोकसभा सीट पर इस बार जीत दर्ज की है। ज्योति ने बेनीवाल के बीजेपी नेताओं के संपर्क के सवाल पर कहा कि ये पुराने समय से घाल-मेल की राजनीति करते आए हैं। पहले बीजेपी के साथ में चुनाव लड़े, फिर गहलोत के चरणों में जा पड़े और अभी भी ये कोशिश कर रहे हैं कि किसी तरह बीजेपी में आ कर घालमेल कर लें। इनकी दुकान का शटर डाउन होता दिखाई दे रहा है, तो उनको घबराहट सी रहती है।
हार पर मंथन शुरू
राजस्थान में लोकसभा चुनाव में हुई करारी हार के बाद प्रदेश भाजपा की ओर से महामंथन शुरू किया गया है। भाजपा प्रदेश कार्यालय में दो दिवसीय बैठक में चुनाव में करारी हार को लेकर प्रदेश के प्रमुख नेता पदाधिकारियों के साथ आत्म चिंतन करेंगे। लोकसभा चुनाव में मिशन २५ के लक्ष्य को लेकर चल रही भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी को २५ में से महज १४ सीटों पर संतोष करना पड़ा। पिछले दो चुनाव से २५ की २५ लोकसभा सीटों पर जीत हासिल कर रही बीजेपी इस बार के अपने परिणामों को लेकर ज्यादा चिंतित है। यही वजह है कि राजस्थान से आए परिणामों ने प्रदेश से लेकर दिल्ली तक के नेताओं की नींद उड़ा दी है। केंद्रीय नेतृत्व ने हार के कारणों की रिपोर्ट मांगी तो प्रदेश के बड़े नेता हार के कारणों को लेकर मंथन करने में जुट गए हैं। केंद्रीय नेतृत्व को रिपोर्ट भेजनी है, ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की अध्यक्षता में मंथन की बैठकों का दौर दो दिन तक चलेगा, जिसमें रिपोर्ट तैयार होगी। एक-एक लोकसभावार पूरा फीडबैक लिया जाएगा। इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा को ११ लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। लोकसभा परिणाम पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने एक दिन पहले ही कह दिया था कि परिणाम आशा के अनुरूप नहीं आए हैं, जो उम्मीद थी वह पूरी नहीं हुई। ऐसे में कहां पर किस तरह की चूक रही, उसको लेकर मंथन किया जाएगा। हार के कारणों पर समीक्षा होनी चाहिए, उसके बाद जिम्मेदारी तय होगी।

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