मुख्यपृष्ठस्तंभब्रजभाषा व्यंग्य : सर्वर डाउन

ब्रजभाषा व्यंग्य : सर्वर डाउन

 

नवीन सी. चतुर्वेदी
सच तो ये ही है इनायत कर रहे हैं आदमी
चोट खाकर भी शराफत कर रहे हैं आदमी
परसों की बात है घुटरूमल जी अपनी पासबुक अपडेट करायवे बैंक में गये हुते। अब का कहें साब कोउ कोउ सरकारी बैंक’न की ब्रांच अभू बाबा आदम के जमाने जैसी लगें। दुनिया में फाइव जी टेक्नॉलॉजी आय गयी मगर कछू लोग एजी ओजी लोजी सुनोजी सों आगें निकर ही नाँय पाये हैं। वे ही फ्लॉपी युग की स्पीड की याद दिवाते कम्प्यूटर, वे ही ‘ऑफिस ऑफिस’ सीरियल की याद दिवाते कर्मचारी और वे ही जसपाल भट्टी साब के जमाने वारे बहाने। दुनिया कब की चँदा पै पहोंच गयी मगर इनके कछू कर्मचारी आज हू चंदा माँगते भये से दीखें। जानें कब सुधरेंगे!
तौ घुटरूमल जी कों अपनी पासबुक अपडेट करवानी हुती, आगें कतार में चार-पाँच लोग खड़े हुते। आध पौन घंटा बाद इनकौ नंबर आयौ। इननें पासबुक आगें करी। स्टाफ नें पासबुक उठायी। मसीन में डारी और यै का सिस्टम ठप। घुटरूमल जी नें पूछी का भयौ, जवाब मिलौ सर्वर डाउन है गयौ है। फिर पूछी कब तक ठीक होयगौ या बात कौ उत्तर स्टाफ देतो वा सों पहलें ही घुटरूमल जी के पीछें खड़ी एक लुगैया बोली काय कौ वायरस और काय की बिमारी। आजकल इन लोग’न कों सर्वर डाउन कौ एक नयौ बहानों मिल गयौ है। अरब’न खरब’न कौ कारोबार जा के भरोसें चल रयौ है वा सिस्टम कों लै कें इत्ती गैर जिम्मेदारी? पॉसिबल है का? ये नासपीटे पब्लिक कों मूरख समझें। इन करम-जरे’न के सबरे काम समे पै होत रहें सो इनपै फरक नाँय परै। जाके पाम न फटी बिवाई वौ का जानें पीर पराई! मोय तौ लगै काऊ की बर्थडे पार्टी मन रही होयगी। केक कट रयौ होयगौ। बोतल खुल रही होमंगी। नाचगाने है रहे होमंगे। सब एन्जॉय करंगे तौ आय-टी डिपार्टमेंट वारे कहाँ के बुरे हैं वे हु झूम बराबर झूम सराबी पै नाच रहे होमंगे। देख लीजो जैसें इ पार्टी खतम होयगी, सिस्टम ठीक है जायगौ, काम करन लगैगौ।
साँची झूठी तौ भगवान जानें मगर साब चमत्कार है गयौ, वा लुगैया की बात खतम होते ही सिस्टम चालू है गयौ। घुटरूमल जी पासबुक अपडेट कराय कें हमारे पास आये और हमें यै सिगरौ किस्सा सुनाय कें पूछी चों साब वौ लुगैया जो कह रही हुती वैसौ सच्च’ऊँ होतौ होयगौ का? हम नें कही देखौ घुटरूमल जी अपुन ठहरे आम आदमी, अपुन कों नेतागिरी सों का मतबल? अपनों काम है गयौ, चलौ अब घर की घटिया चढ़ौ। जय राम जी की।

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