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ब्रजभाषा व्यंग्य : फोकट के रिलेशनशिप मै फसौ युवावर्ग

 संतोष मधुसूदन चतुर्वेदी

हिंदुस्थान में विपरीत लिंग के संग फोकट के संबंध बनायबे के लालच मै आज की हमारी युवा पीढ़ी मोबाइलन पै लगी पड़ी हतै। बाकौ दुष्परणाम आयेदिन सामनें आय रहयो हतै, बिनकौ पच्छिमी संस्कृति के अनुकरन की वजह तै सांचो जीवनसाथी नाय मिल रह्यो। पच्छिमी संस्कृति बारे मोबाइलन सों दूरी बनाते भये हमारी संस्कृति कौं अपनाय रहै हैं। लड़की कौं आत्महत्या के लिए उकसायबे के एक मामले मै सुनबाई के बखत कोर्ट नें अपनी गहरी चिंता व्यक्त करी है। जज नें अंधानुकरण औ संचार माध्यम सूं है रहै सामाजिक बदलाव’न पै यै बात कही हतै। हिंदुस्थान कौ युवावर्ग आज आभासी दुनिया मै जी रह्यो हतै। युवा’न नें अपनी एक आभासी दुनिया तैयार कर लई है। बिनकौं घर-परिवार, मान-सम्मान, रिश्ते-नाते’न सों कोऊ मतलब नायनें। नेकउ लाज बची नाय। वश मतलब है तौ आभासी दुनिया के नाते-रिश्ते’न सों। मोबाइल’न के फेर मै घर-परिवार’न मै हरेक दिना टूट’न आय रही है। इलाहाबाद के जज सिद्धार्थ वर्मा ने केस की सुनबाई के समै यैऊ बात कही हती, ‘सोशल मीडिया, फिल्मों, टीवी धारावाहिकों अरू वेबसीरिज के परभाव में देश कौ युवावर्ग न अपने जीवन कौ लक्ष तय कर पाय रह्यो है अरू न ही भविष्य के तांई सही फैसला कर पाय रह्यो है। सही साथी की तलाश में बौ अक्सर गलत संगी की संगति में पौहच रह्यो हतै।’ पिछले दिनों या तरियां की दो खबरें सोशल मीडिया पै भौत छाई रहीं। बिनमें एक हती पाकिस्तान ते मोबाइल पै पबजी के माध्यम सौं चार बच्च’न को संग लैकें भारत आई सीमा हैदर-सचिन मीणा की अरू दूसरी अलवर की अंजू-नसरुल्ला की जो अपने दो बच्च’न कौं छोडकें अपने फेसबुक प्रâेंड नसरुल्ला सौं मिलबे पाकिस्तान पौहच गई। ऐसी बातन सौं मइया-बापन को जहाँ शरम तै सिर झुकौ बहीं बे समाज मै मुंह दिखायबे लायक नाय रहै। अपने ऐसे बच्च’न की वजह सों बिनकौ जीवों अरू घर’न सों बाहिर निकरबो मुसकिल है जावै या लियै आभासी दुनिया, पच्छिमी संस्कृति, फिल्म, धारावाहिक, मोबाइल’न सौं परभावित न हैकें अपने परिवार के संस्कार’न कौ जतन करते भये आगै बढ़ो या मैही सार हतै। मोबाइल के या वर्तमान जुग में सोशल मीडिया कौ जादा उपयोग जीवन की सुख-शांति पै डाकौ डारवे बारों एक बडौ साधन बन गयौ हतै जबकि याकौ संयमित उपयोग अपार प्रसन्नता कौ आधार बन सवैâ। वास्तव में मोबाइल एक जिन्न की तरै हतै, याकौ वरदान या अभिशाप याके उपयोग अरू दुरुपयोग पै हू निर्भर करै। आज कौ युवावर्ग आभासी दुनिया सों जुड़कें दिनोंदिन समाज तेऊ कट रह्यो हतै। ये सोशल मीडिया को युवावर्ग पै भौत बडौ दुष्परभाव हतै।

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