राजेश विक्रांत
देशवासियों, ये जान लो, मैं ईडी की कसम खा कर कहता हूं कि सिर्फ मुझे ही मां गंगा बुलाती है, संतान मानती है, गोद लेती है। बाकी के लिए तो ईडी है जिसे मैंने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ज्यादा सक्रिय कर दिया है। बाकी को वही बुला रही है।
मेरी गारंटी है कि ईडी आल इंडिया लेवल की रहेगी। हर जगह जाएगी। वो अब तक जहां नहीं पहुंच पाई है, वहां भी पहुंचेगी। जरूर पहुंचेगी। ४०० पार का ठेका हमने ईडी को दे दिया है। ये चुनाव ईडीवाद बनाम ईडीग्रस्त का है। अब पार्टियां, विपक्ष या नेता तय करें कि उन्हें ईडी का शिकंजा चाहिए या ईडी से मुक्ति।
ईडी का रिकॉर्ड देख लीजिए। कितने उदाहरण हैं, जहां किसी पार्टी के नेता के खिलाफ ईडी, सीबीआई, आईटी के मामले चल रहे थे, जैसे ही वो नेता हमारी पार्टी में शामिल हुए, उनके सारे पुराने मामले बंद कर दिए गए या ठंडे बस्ते में डाल दिए गए। जो हमारे झंडे के नीचे आ जाता है, हमारी पार्टी में शामिल हो जाता है, उनके सारे मामले रफा-दफा हो जाते हैं। वो तत्काल प्रभाव से ईमानदार घोषित कर दिया जाता है। ईडी उसकी चरण वंदना करने लगती है। सीबीआई और आईटी उसकी जय बोलने लगती है। जो हमारी पार्टी में नहीं जाता, वो जेल जाता है। जेल का भोजन करता है और कभी-कभार मोक्ष भी प्राप्त कर लेता है।
यह बात तो सभी जानते हैं कि जिन राज्यों में हमारी सरकारें हैं, वहां ईडी समेत सभी जांच एजेंसियां चुप हैं। जहां हमारी सरकारें नहीं हैं, वहां हमने जांच एजेंसियों को सक्रिय कर दिया है। ईडी का रिकॉर्ड इस बात का गवाह है। २०१४ में हम सत्ता में आए, तब से अब तक ईडी के निशाने पर रहे करीब ९५ फीसदी नेता विपक्ष से हैं। हम जल्दी ही इस ९५ फीसदी को १०० फीसदी में बदल देंगे। चाहे रैली करो, रैला करो या महा रैली। मेरे तीन अनमोल रतन-आईटी, सीबीआई और ईडी। चुनावी बॉन्ड के खिलाफ जो नाच रहे हैं, वे जान लें कि उनका भी नंबर आएगा। ईडी सबका हिसाब लेगी।
मुझे एक बात का श्रेय जाएगा कि मैंने देश की आबादी दो हिस्सों में बांट दी है। एक हिस्से में ईडी के दायरे में आने वाले नेताओं की फेहरिस्त है, जो कि बहुत लंबी है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पी चिदंबरम, कीर्ति चिदंबरम, डीके शिवकुमार, संजय राऊत, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, अनिल देशमुख, नवाब मलिक, फारूक अब्दुल्ला, लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी, हेमंत सोरेन, संजय सिंह, अरविंद केजरीवाल, कैलाश गहलोत, शाहजहां शेख, वीणा विजयन आदि के नाम हैं। दूसरे हिस्से में वे खुशकिस्मत हैं, जिनका नाम ईडी की जांच लिस्ट में शामिल नहीं है। इस दूसरे हिस्से के लोगों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है, उनका भी नाम देर-सवेर लिस्ट में आने ही वाला है।
(लेखक तीन दशक से पत्रिकारिता में सक्रिय हैं और ११ पुस्तकों का लेखन-संपादन कर चुके वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं।)