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ब्रेकिंग ब्लंडर : रावण हार गया!

राजेश विक्रांत
असली नकली और राम रावण की लड़ाई में नकली और रावण की हार हो गई है। विधानसभा चुनाव से पहले धोखेबाजी से सत्ता हड़पने वाले खोके सरकार का मुंह विभीषण जैसा हो गया है। मानो किसी ने मुंह पर कालिख पोत दी है। उन्हें तगड़ा झटका लगा है। वे अपनी रैली के लिए शिवाजी पार्क लेने के लिए साम, दाम, दंड भेद सबका इस्तेमाल कर चुके थे। लेकिन इस बार खुदा मेहरबान नहीं हुआ तो गधा पहलवान वैâसे बन जाता?
जनता जनार्दन असली शिवसेना के साथ है। तो उन्हीं की बांछे खिलनी थी। ये असली शिवसेना की एक बड़ी उपलब्धि है कि दशकों की परंपरा के अनुसार उन्हीं की रैली शिवाजी पार्क में होगी।
क्यों हुआ ऐसा? कहते हैं कि रावण को श्रीराम की नाराजगी ले डूबी। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम असंख्य हिंदुस्थानियों के आराध्य देव हैं, उनकी आस्था के प्रतीक हैं। राम का सिर्फ नाम ही उद्धार और मुक्तिप्रदायक है। पिछली साल खोके सरकार ने अपनी रैली के लिए श्रीराम भक्तों का अपमान किया था। उनको उस मैदान में रैली करनी थी, जहां रामलीला चल रही थी। सरकार से पंगा कौन लेता? लिहाजा आयोजकों को रामलीला असमय खत्म करनी पड़ी।
तो, श्रीराम जरूर सरकार पर नाराज हुए होंगे। उसी का परिणाम है कि इस बार भी सरकार की शिवाजी पार्क में दशहरा रैली करने की हसरत दिल में ही रह गई।
वैसे सयाने लोग कहते हैं कि इस कलियुग में जो किसिम-किसिम (किस्म-किस्म) के जो अनेक रावण प्रकट हो गए हैं, खोके सरकार उनमें से एक है। जैसे मच्छर मच्छरदानी में घुसकर रात भर का सामान हो जाता है, उसी प्रकार वे भी कई सालों से श्री राम के नाम पर रावण का चरित्र निभा रहे हैं। अपने कामों से वे रावण के समर्थक के रूप में फिक्स हो गए हैं। उनके बयान अंगद के पांव की तरह होते हैं, जो कभी डिगते नहीं। उनके मन में शैतान की कंपनी की लोकल ब्रांच हमेशा ओपन रहती है। आज हर क्षेत्र में ‘खोके सरकार’ की जनसंख्या बढ़ रही है। एक खोके सरकार पिछले दिनों लखनऊ में बरामद किए गए थे। जब पुलिस इनके घर में घुसी तो चौंक पड़ी। मानो वह रिजर्व बैंक के किसी नोट गोदाम में घुसी हो। देशी व विदेशी नोटों के बंडल तकिया, रजाई, कपड़ों, चादरों, गद्दों, अचार-राशन के डिब्बों, वाशिंग मशीन, टीवी प्रिâज में हर कहीं उपस्थित थे। प्राप्त की गई मुद्राएं कहीं कम तो नहीं हैं, इसका कन्फर्मेशन वे अपने घर में कार्यशील नोट गिनने की ५ मशीने के जरिए करते थे।
इन दिनों जीवन कितना खुशहाल हो गया है। हम तमत्रा करते है राम राज्य की, पर उपहार मिलता है रावण राज्य का। खोके सरकार का। आम हिंदुस्थानी दुखों के माल गोदाम के नीचे जीवन बिताता है, तो नेतागण और नौकरशाहों में भ्रष्टाचार के ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने की होड़ मची रहती है। माननीय सांसदों ने तो आम लोगों की सुविधा हेतु संसद में सवाल पूछने का रेट निर्धारित कर दिया है। आजादी के अमृत काल में नदियां दम तोड़ते नालों में बदल रही हैं। प्याज सेव से ज्यादा कीमती हो गया है। इसलिए दशहरा के मौके पर शिवाजी पार्क में रैली को लेकर भी खोके सरकार अड़ गए थे। इस पार्क में शिवसेना के संस्थापक हिंदूहृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे रैली किया करते थे। लेकिन, जब से खोके सरकार ने सत्ता के लिए शिवसेना को धोखा दिया है, तब से उन्हें सबक मिल रहा है। खोके सरकार अपने को असली कहते हैं। कहीं अवैध कब्जेदार मालिक होता है क्या? यानी कि जनता के सौजन्य से अब खोके सरकार के दहन होने का समय आ रहा है।
(लेखक तीन दशक से पत्रिकारिता में सक्रिय हैं और ११ पुस्तकों का लेखन-संपादन कर चुके वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं।)

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