राजेश विक्रांत
उत्तर प्रदेश अब वसूली प्रदेश बन गया है। इसका श्रेय योगी को ही तो जाएगा, आखिर वे ही प्रदेश के मुखिया हैं। जब उनके नाम पर बुलडोजर का श्रेय दर्ज हो सकता है तो वसूली का क्यों नहीं? लेकिन वसूली में योगी जी का नाम रोशन करने का काम एक पुलिसकर्मी पन्नेलाल ने किया है। पन्नेलाल जैसे लोगों के बारे में शायर इकबाल दशकों पहले कह गए हैं- हजारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा।
योगी जी की बलिया पुलिस ने पन्नेलाल के मार्गदर्शन में वसूली को एक नितांत कलात्मक रूप दे दिया है। बलिया पुलिस उत्तर प्रदेश-बिहार बॉर्डर पर बने भरौली चेक पोस्ट पर ट्रकों से वसूली नामक सराहनीय व शुभ कर्म में एक लंबे अरसे से सक्रिय थी कि किसी दिलजले ने एडीजी और डीआईजी को खबर पहुंचा दी। अफसरों ने संयुक्त रूप से छापा मारा तो दो पुलिसकर्मियों को मौके से गिरफ्तार किया गया। इतना ही नहीं १६ बिचौलिए उर्फ दलाल भी पकड़े गए जो पुलिस के लिए धन उगाही का काम कर रहे थे। इस गोरखधंधे में पूरा नहीं थाना ही संलिप्त था।
बलिया पुलिस की तारीफ करनी चाहिए कि वो पीपीपी- पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर काम कर रही थी। पुलिस ने राजा राममोहन राय बनने का प्रयास नहीं किया। खुद के साथ उसने प्राइवेट लोगों को भी इस कार्य के लिए नियुक्त किया। इसे आप अतिरिक्त रोजगार सृजन कह सकते हैं। उत्तर प्रदेश में रोजगार बढ़ाने का जो काम योगी जी को करना चाहिए वह बलिया पुलिस ने किया।
भरौली चेक पोस्ट गंगा नदी के पुल पर बना है। गंगा नदी की पवित्रता को नया आयाम देने का काम भी बलिया पुलिस ने किया। इस पुल से उत्तर प्रदेश और बिहार ट्रकों का आना जाना होता है। इन ट्रकों के माध्यम से शराब, पशु और लाल बालू की तस्करी का कार्य संपन्न किया जाता है। हर रात भरौली से लगभग १००० ट्रक गुजरते हैं। प्रति ट्रक कम से कम ५०० रुपए वसूले जाते हैं। यानी एक दिन में ५ लाख रुपए की उगाही की जा रही थी। यानी महीने की कमाई डेढ़ करोड़ रुपए थी। घर को लगी आग घर के चिराग से। डेढ़ करोड़ रुपए की आय पर उच्चाधिकारियों ने भांजी मार दी।
नरही थाने में तैनात पन्ने लाल नामक महापुरुष वसूली कांड के मास्टरमाइंड थे। कांड खुलने के बाद वे अनुभवी अपराधियों की तरह भूमिगत हो गए थे। पन्नेलाल ने अपने जीवन में नैतिकता का शीलभंग कभी नहीं किया। पुलिस महकमे में ऊंची पहुंच थी। उसे उच्चाधिकारियों का रक्षा कवच प्राप्त था, जिस वजह से उसकी ड्यूटी हमेशा मलाईदार थानों में लगती थी, जहां काली कमाई ज्यादा हो सके। पन्नेलाल को वसूली से आनंद की झीनी-झीनी अनुभूति होती थी। चेक पोस्ट पर उसी के खास पुलिसकर्मी ट्रकों से पैसा वसूलते थे। पन्ने लाल की गिरफ्तारी के साथ ही इस मामले में अब तक १९ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि चार अभी भी फरार हैं।
(लेखक तीन दशक से पत्रिकारिता में सक्रिय हैं और ११ पुस्तकों का लेखन-संपादन कर चुके वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं।)