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ब्रेकिंग ब्लंडर : जनप्रतिनिधियों की डकैती!

राजेश विक्रांत

ऐसा सिर्फ भाजपा ही कर सकती है। जनप्रतिनिधियों की डवैâती करना उसका जन्मसिद्ध अधिकार है और चंबल की सरजमीं तो डाकुओं के लिए विख्यात है भी, इसलिए भाजपा ने लोकसभा चुनाव के दौरान एक कांग्रेसी विधायक का शिकार किया और ५ जुलाई को उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलवा दी। विधायक जी शपथ ग्रहण तक कांग्रेसी ही थे। लिहाजा एक नया रिकॉर्ड बन गया कि सरकार भाजपा की हो और उसमें कांग्रेस के विधायक को मंत्री बना दिया गया हो।
इस नेता का नाम है राम निवास रावत। पहले उन्होंने गलती से राज्य मंत्री पद की शपथ ले ली। १० मिनट बाद ही फिर उन्हें शपथ दिलाई गई! पहले उन्होंने शपथ में कहा, `राज्य मंत्री के रूप में’ मैं अपने दायित्वों का निर्वहन करूंगा, जबकि उन्हें कहना था कि मैं `राज्य के मंत्री के रूप में’ अपने दायित्वों का निर्वहन करूंगा। तो `राज्य मंत्री’ की जगह `राज्य के मंत्री’ पढ़ देने मात्र से वे वैâबिनेट मंत्री बन गए। सिर्फ १५ मिनट में उनका प्रमोशन हो गया।
रावत ग्वालियर-चंबल संभाग के ओबीसी नेता हैं। वे दिग्विजय सिंह सरकार में भी मंत्री थे। राज्य में भाजपा सरकार आने पर रावत को ज्ञान हुआ कि मंत्री पद पाना है तो भाजपा में जाना होगा। ३० अप्रैल को लोकसभा चुनावों के दौरान इधर राहुल गांधी प्रचार के लिए मध्य प्रदेश आए, उधर रावत भाजपा की गोद में जाकर बैठ गए।
उस समय शिकार को देखकर जो चमक भेड़िए की आंखों में आ जाती है, वैसी चमक रावत की आंखों में थी। इसलिए उन्होंने मंत्री पद पाने के लिए राय बदली, उसूल ढीला किया और हृदय परिवर्तन किया, लेकिन कांग्रेस नहीं छोड़ी। इसलिए रावत ने एलानिया कहा कि जब तक मंत्री पद को प्राप्त नहीं हो जाता, तब तक कांग्रेस नहीं छोडूंगा। बोधिवृक्ष के नीचे जैसे महात्मा बुद्ध जी को ज्ञान हुआ था, वैसा ज्ञान प्राप्त कर रावत जी विरही यक्ष की भांति विलाप करने लगे कि मुझे मंत्री बनाओ। सुपरिणाम राज्यपाल ने रावत को मंत्री पद की शपथ दिला दी, जबकि २३० सदस्यों के सदन में भाजपा के पास पहले ही १६३ विधायक हैं। यानी अच्छा खासा बहुमत है, लेकिन फिर भी भाजपा की डवैâती की आदत नहीं गई।
उसने कांग्रेस के विधायक को अपने पाले में लेकर मंत्री बना दिया। अब रावत के जीवन से समस्याओं व दुखों का शीघ्र पतन हो गया है। उनकी बची हुई जिंदगी में वसंत ऋतु जैसी भर आ गई है। इस प्रक्रिया में अगर लोकतंत्र की हत्या हुई है तो होती रहे, नैतिकता की धज्जियां उड़ाई गई हैं तो उड़ती रहें, रावत जी मंत्री तो बन ही गए। मध्य प्रदेश में पिछले एक दशक में यह अपनी तरह की तीसरी घटना है। २०१४ के लोकसभा चुनाव में भिंड से डॉ. भगीरथ प्रसाद को टिकट मिला था। अगले ही दिन डॉ. साहब को भाजपा ने टिकट दे दिया। वे चुनाव में खड़े हुए। लड़े। जीते। ५ साल तक सांसद रहे। इसी साल लोकसभा के चुनाव में इंदौर में कांग्रेस ने अक्षय बम को टिकट दिया था। नामांकन वापसी के ऐन मौके पर उन्होंने नाम वापस ले लिया और भाजपा में भर्ती हो गए और अब रावत का मामला। भाजपा की जनप्रतिनिधियों की लूट व डकैती चालू आहे।

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