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ब्रेकिंग ब्लंडर : हम हैं चंदाजीवी हमको कुछ न बोलिए!

राजेश विक्रांत

हां, भाई हां। हम चंदाजीवी हैं। डंके की चोट पर चंदाजीवी हैं। टॉप के चंदाजीवी हैं। जितना चंदा मिले, हम सब गटक लेते हैं। गड़प लेते हैं। डकार भी नहीं लेते। हमने सबसे ज्यादा चंदा गटका है। चंदे की हमारी भूख भूखेस्ट बन गई है इसलिए कई पार्टियों को एक पैसे का भी चंदा नहीं मिल रहा है, जबकि भारतीय चंदा पार्टी को अरबों में चंदा मिला है। हम इस योग्य हैं तो हमें चंदा दाताओं का इतना ज्यादा भरोसा प्राप्त हुआ कि एक रिकॉर्ड भी बन गया।
जो चंदे के विरोधी हैं, वे देश के विरोधी हैं, विकास के विरोधी हैं। कुछ दिलजले कहते हैं कि जैसे टूजी (स्वैâम) में हुआ, उसी तरह कोर्ट को एक चंदा एसआईटी बनानी चाहिए। कोर्ट को खुद ही एसआईटी के सदस्यों की नियुक्ति करनी चाहिए। जिस-जिस कंपनी ने चंदा दिया है, उसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि कई ऐसी कंपनियां हैं जो घाटे में हैं या जिनका मुनाफा बहुत कम है, उन्होंने भी चंदा दिया है। इससे एक बात तो साबित हो ही जाती है कि चंदे की दुनिया में कोई ऊंच-नीच, छोटा-बड़ा, नफा-नुकसान का बंधन नहीं है। सब बराबर हैं इसलिए ईडी, आयकर, सीबीआई, जीएसटी के शिकंजे वाली कंपनियों ने भी चंदा दिया है तो घाटे में चलने वाली कंपनियों ने भी दिया है। चंदे ने अमीर व गरीब के बीच को मिटा दिया है।
हमें चाहे आप परजीवी कहिए, बयानजीवी या दंगाजीवी, लेकिन सबसे पहले हमें चंदाजीवी कहिए। चंदा लेना हमारा धर्म, कर्म, मर्म है, आन, बान, शान, सम्मान है। चंदा हमारी ऊर्जा है, पूंजी है रोजगार है। चंदा हमारी रोजी-रोटी है। हम भारतीय चंदा पार्टी जो हैं। हमारा घोषवाक्य है- श्रमजीवी नहीं चंदाजीवी बनो। हम गोपनीय चंदाजीवी हैं। चंदे में गोपनीयता बहुत जरूरी होती है। हम यह नहीं बताएंगे कि किसने चंदा दिया।
दरअसल, चंदाजीवी बड़ा ही अहिंसक सा रोजगार है। लेकिन जो चंदा दे उसका भी भला और जो चंदा न दे उसका भी भला, अब नहीं चल सकता। राजनीति बिना पैसे के नहीं चलती। हमें चंदा नहीं दोगे तो काम नहीं होगा। काम रुकवा देंगे। सीबीआई, ईडी, आयकर भेज देंगे। छापा पड़वा देंगे। मालमत्ता सीज करवा देंगे। अगर चंदा दोगे तो सीबीआई, ईडी, आयकर, जीएसटी वाले आपके घर, दुकान, दफ्तर, कंपनी का रास्ता भूल जाएंगे। हम आपकी अवैध गतिविधियों को नजरअंदाज कर देंगे। टैक्स छूट देंगे। सब्सिडी से नवाजेंगे। नीति-कानून बदल देंगे। पर्यावरण मंजूरी मिल जाएगी। बड़े सरकारी ठेके देंगे। बंदरगाह, राजमार्ग निर्माण के अनुबंध करेंगे। एक्सपोर्ट लाइसेंस जारी कर देंगे।
आप सिर्फ हमको ही चंदा दीजिए। चंदाजीवी चंदे से अपना तो जीवनयापन करता ही है, जिस चीज के लिए चंदा इकट्ठा किया जा रहा है उस पर भी थोड़ा बहुत खर्च कर देता है। हम भी ऐसे ही हैं।
सभी को चंदा मत दो। चंदा डूब जाएगा। पैसा बेकार हो जाएगा। औरों को चंदा देने से आपका फायदा तो दूर की बात है, नुकसान हो जाएगा। हम जिसको बोलें उसी को चंदा दो। देश-प्रदेश में जिस राजनीतिक दल की सरकार हो उसे अनिवार्य रूप से ज्यादा रकम बतौर चंदा दिया जाए।
हम हैं चंदाजीवी, हमको कुछ न बोलिए। चंदा हमारा भोजन है और ऑक्सीजन भी। इसलिए हम चुनावी बॉन्ड का कानून लेकर आए और हमने चंदा रस छक कर पीया। इसके लिए देश के चंदादाता समुदाय आभार के पात्र हैं। इस समुदाय ने हमें, हमारी भारतीय चंदा पार्टी को दिल खोलकर चंदा दिया। अब हम इस समुदाय को फायदा भी पहुंचाएंगे, लेकिन जिन्होंने हमें चंदा नहीं दिया, वे खासतौर से होशियार रहें। हम उनसे मिलने के लिए ईडी आदि को भेज रहे हैं।
(लेखक तीन दशक से पत्रिकारिता में सक्रिय हैं और ११ पुस्तकों का लेखन-संपादन कर चुके वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं।)

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