मुख्यपृष्ठस्तंभब्रेकिंग ब्लंडर : हंगामा टीवी में आपका स्वागत है

ब्रेकिंग ब्लंडर : हंगामा टीवी में आपका स्वागत है

राजेश विक्रांत

`हेलो’, जी, चुगलिया साहब, बोलिए।’
`रोहित जी, मैंने आपको फोन एक खास मकसद से किया है।’
`बोलिए सर!’ `आपको तो पता है रोहित कि इन दिनों ब्रेकिंग न्यूज का अकाल पड़ा हुआ है। हम किस न्यूज को ब्रेकिंग बनाएं, समझ में नहीं आता। मालिक का बहुत प्रेशर रहता है हम पर। रोहित जी, आपको तो काफी बड़ा अनुभव है आपके पिता जूट, कपड़ा और खाद्यान्न का व्यापार करते थे।’
`जी सर, लेकिन आप कहना क्या चाहते हैं? साफ साफ बोलिए!’
`देखिए रोहित जी, एमबीटीवी में हमें कुछ सनसनीखेज चाहिए। ऐसा चाहिए कि हंगामा मच जाए। चारों ओर तहलका मच जाए। एमबीटीवी की टीआरपी माउंट एवरेस्ट पर पहुंच जाए।’
`चुगलिया सर, बात को जलेबी का रूप मत दीजिए।’
`मुंबई में राहुल गांधी की प्रेस
कॉन्प्रâेंस है न। आप हमारे मुंबई ब्यूरो चीफ हैं। तो आपको राहुल गांधी की प्रेस कॉन्प्रâेंस में हंगामा करना है। कुछ उथल पुथल मचानी है। हम इसी को ब्रेकिंग न्यूज बनाएंगे। आपका खूब नाम होगा। आप मीडिया में छा जाएंगे।’
क्या बात करते हैं सर! हंगामा वैâसे कर पाऊंगा? मैं पत्रकार हूं सर। कोई हंगामेबाज नहीं हूं।’
`नहीं हैं तो बनिए। एमबीटीवी की नई टैगलाइन मत भूलिए-सिर्फ हंगामा खड़ा करना ही हमारा मकसद है। हम हंगामा नहीं करेंगे तो हमारे मालिक गजानी जी नाराज हो जाएंगे।’
`चुगलिया जी एक बात बताइए। क्या अजानी जी का प्लान राहुल गांधी को रास्ते से हटाना है? राहुल गांधी एक ‘हाई सिक्योरिटी रिस्क’ वाले नेता हैं और उनकी प्रेस मीट में एमबीटीवी के हंगामे की आड़ में कोई अतिवादी, कोई अपराधी, कोई आतंकी राहुल का कत्ल भी कर सकता है न?’
`रोहित, तुम फालतू बात कर रहे हो। अजानी जी हमारे अन्नदाता हैं। माई बाप हैं, सरकार हैं, हुजूर हैं, मालिक हैं। वे जो आदेश देंगे, उसका पालन हमें करना ही होगा।’
`सर मैं इस आदेश का पालन नहीं कर सकता। बिल्कुल नहीं करूंगा। मेरे लिए पत्रकारिता की पवित्रता बहुत महत्वपूर्ण है। आपको तो अपनी अंतरात्मा का कत्ल करने में बहुत मजा आता है। आपकी हालिया पत्रकारिता ने लोकतंत्र के वजूद को खतरे में डाल दिया है।’ `चुगलिया साहब, आपने पत्रकारिता को एक महा फूहड़ तमाशे में बदल दिया है। क्विट के एडिटोरियल डायरेक्टर के रूप में आप एक समय सुकेश लंबानी और रूपक अजानी के खिलाफ लिखते थे। उस समय आप अजानी को पीएम का करीबी बताते हुए उनकी आलोचना करते थे। अजानी की संपत्ति में वृद्धि के लिए केंद्र सरकार पर उनका समर्थन करने के आरोप लगाते थे। लेकिन अब जब आप अजानी की गोद में बैठ गए हैं तो उनकी ही भाषा बोल रहे हैं। आपके लिए स्वस्थ पत्रकारिता की बजाय हंगामा टाइप पत्रकारिता महत्वपूर्ण बन गई है।
चुगलिया साहब, मेरी बात से डीसी करेंट की तरह उछलिए मत। आप स्वार्थ में अंधे और पत्रकारिता में पीछे हैं। अशोक मिजाज ने आप जैसों के ही बारे में लिखा है-
मिट्टी भी उठा लेते हैं टूटे हुए घर की,
गिरते हुए लोगों को उठाने नहीं आते।
इसलिए मैं आज से और अभी से एमबीटीवी से इस्तीफा दे रहा हूं।
(लेखक तीन दशकों से पत्रिकारिता में सक्रिय हैं और ११ पुस्तकों का लेखन-संपादन कर चुके वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं।)

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